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हरियाना: क्या इनैलो एक बार फिर विधानसभा चुनाव मे हुई फिक्सिंग का इतिहास लोकसभा चुनाव मे दोहराएंगे 

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  Published by: Darshan Singh , Date: 25/04/2024 01:43:51 pm Share:
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  • 25/04/2024 01:43:51 pm
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संक्षेप

हरियाना: कालावाली 25 अप्रैल दर्शन सिंह स्वार्थ संपूर्ण राजनीति मे नेता लोग हवा का रुख और मौके की परिस्थितियों देखकर अपना चुनावी गेम खेलने का मानो एक रिवाज सा चल पड़ा है। और कभी चुनावी मैदान मे एक दूसरे की आंखों मे कांटे की तरह रड़कने वाले नेता को चुनाव मे पटखनी देने के लिए अपना रुप धारण कर अपने राजनीति धुंर विरोधी प्रतिद्वंद्वी के साथ एक सोची-समझी रणनीति के तहत खेलकर एक-दूसरे से अपना हाथ मिला बैठे इस पर कुछ भी कहना असंभव सी बात है। राजनीति के बड़े धुरंधर खिलाड़ी कभी भी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान मे ताल ठोंकते कम ही नजर आएंगे। 

विस्तार

हरियाना: कालावाली 25 अप्रैल दर्शन सिंह स्वार्थ संपूर्ण राजनीति मे नेता लोग हवा का रुख और मौके की परिस्थितियों देखकर अपना चुनावी गेम खेलने का मानो एक रिवाज सा चल पड़ा है। और कभी चुनावी मैदान मे एक दूसरे की आंखों मे कांटे की तरह रड़कने वाले नेता को चुनाव मे पटखनी देने के लिए अपना रुप धारण कर अपने राजनीति धुंर विरोधी प्रतिद्वंद्वी के साथ एक सोची-समझी रणनीति के तहत खेलकर एक-दूसरे से अपना हाथ मिला बैठे इस पर कुछ भी कहना असंभव सी बात है। राजनीति के बड़े धुरंधर खिलाड़ी कभी भी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान मे ताल ठोंकते कम ही नजर आएंगे। 

बल्कि अपने क्षेत्र की पारस्परिक सीट को क्लीन स्वीप रखने के लिए किसी भी लक्ष्मण रेखा को लांघ सकते हैं, चुनाव मे अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए फिक्सिंग का खेल खेलकर अपनी ही पार्टी के छुटभैय्ए नेता को बकरा बनाकर उसकी बलि चढ़ाने मे जरा सी भी चूक नहीं होने देते और अपना कांटा निकालने मे कामयाब हो जाते हैं।


हरियाणा मे पिछले विधानसभा चुनाव मे जिला सिरसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मे आने वाली तीन विधानसभा सीटों के चुनावी नतीजों के आंकड़ों पर गौर करें तो इस चुनाव मे फिक्सिंग कभी विधानसभा चुनावों मे एक दूसरे के खिलाफ आमने-सामने मैदान मे उतरकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले एक ही राजनीति के बड़े घराने मे तीनों दिग्गज नेताओं का चुनाव फिक्सिंग के खेल मे डबवाली, रानियां और ऐलनाबाद विधानसभा की सीटें स्पष्ट रूप से गवाही बयां कर रही है। 


सिरसा जिला के डबवाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव चौटाला मे वर्ष 2014 मे भाजपा मे शामिल होकर चौ. देवीलाल परिवार मे एक और अवतार के रूप मे आदित्य चौटाला का  राजनीति मे उदय हुआ और उन्होंने वर्ष 2016 सिरसा जिला परिषद के जोन 4 के चुनावी रणभेरी मे उतरकर पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र एवं विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला की धर्मपत्नी कांता चौटाला के सामने चुनाव लड़ा और देवर-भाभी के बीच हुए इस कड़े मुकाबले मे इनैलो प्रत्याशी कांता चौटाला को सात हज़ार मतों से कड़ी मात देकर सिरसा जिला की राजनीति मे एक किंगमेकर के रूप मे उभर कर सामने आए और उनकी राजनीति मे काबीलियत को देखते हुए भाजपा ने उन्हें पार्टी के मंचों पर तव्वजो देनी शुरू  कर देने से भाजपा को पहली बार लोकसभा चुनाव मे ग्रामीण क्षेत्र से जीत मिलने से आदित्य चौटाला का भाजपा के अंदर राजनीतिक कद और बढ़ गया है


 हरियाणा के 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले डबवाली हल्के मे जिए जवान-जिए किसान रैली भाजपा ने देवीलाल परिवार के गृह जिला मे वोटों की बड़ी सेंध लगाने के लिए इस रैली के माध्यम से देवीलाल और आदित्य चौटाला की तारीफों के कसीदों से डबवाली विधानसभा सीट आदित्य चौटाला की भाजपा से टिकट की दावेदारी और मजबूत हो गई ।इस विधानसभा चुनाव मे डबवाली क्षेत्र से कांग्रेस ने अमित सिहाग व इनैलो ने पूर्व विधायक डॉ सीता राम और भाजपा ने आदित्य चौटाला को टिकट देने से यह सीट हाइप्रोफाइल बन गई। यह सीट ज्यादातर इनैलो का गढ़ रही और कभी कभार कांग्रेस के पाले मे झुलती रहीं। किंतु इस सीट पर आदित्य चौटाला के अवतार के रूप मे आने से इनैलो को जिला परिषद चुनाव मे मात देने से हमेशा दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए रास्ते का चुभने वाले कांटा बनते जा रहे आदित्य चौटाला की इस चुनाव मे दिनों दिन बढ़ती जा रही लोकप्रियता से इनैलो ने महज एक खानापूर्ति निभाने के लिए डॉ सीता राम की इस चुनाव मे बलि चढ़ाने के साथ ही तीन विधानसभा सीटों पर लिए चुनाव फिक्सिंग करने को मजबूर होना। 


   पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के छोटे बेटे एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवारिक राजनीतिक विरोधी रहे रंजीत सिंह चौटाला साल 1987 के रोड़ी विधानसभा चुनाव मे सिर्फ एक बार अपने पिता चौ. देवीलाल की पार्टी से चुनाव जीत पाए। जबकि शेष चुनाव मे वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव हिसार और आदमपुर सीट यानि वर्ष 2014 तक के विधानसभा चुनाव मे रोड़ी या फिर रानियां हल्के से इनैलो प्रत्याशी के हाथों हार झेलते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव मे रंजीत सिंह चौटाला को रानियां हल्के से कांग्रेस की टिकट कटने पर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। 

जाता है कि रंजीत सिंह चौटाला का डबवाली क्षेत्र मे एक अपना अच्छा खासा वोट बैंक पर मजबूत जनाधार माना जाता है। इसलिए डबवाली विधानसभा सीट भाजपा प्रत्याशी आदित्य चौटाला से जिला परिषद के चुनावी हार की टीस का बदला चुकाने के लिए और कांग्रेस के डबवाली से पूर्व विधायक डॉ कर्मवीर केवी) सिंह को जिनका इस क्षेत्र मे एक तकड़ा वोट बैंक माना जाता है। किंतु इस चुनाव मे आदित्य चौटाला का एकतरफा चुनाव माहौल ने तीन नेताओं को गिले मिलने पर मजबूर कर दिया और डबवाली से कांग्रेस प्रत्याशी अमित सिहाग, रानियां से निर्दलीय प्रत्याशी रंजीत सिंह चौटाला और ऐलनाबाद सीट से अभय सिंह चौटाला को जीत हासिल हुई।

सूत्रों ने बताया कि 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव मे इनैलो के लिए कुरुक्षेत्र और हिसार लोकसभा सीट जहां नाक का सवाल बन चुकी है वहीं इनैलो पार्टी का वजूद बचाए रखने के लिए कुरूक्षेत्र सीट से स्वयं अभय सिंह चौटाला एक बार फिर साल 2019 का फिक्सिंग चुनाव का इतिहास को दोहरा सकते है, जिसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि सिरसा लोकसभा(सुरक्षित) सीट से इनैलो द्वारा यहां के वोटरों के लिए एक अंजान चेहरे संदीप लोट को टिकट देकर यहां से चुनाव मैदान मे उतारने को लेकर इस बात की चर्चा जोरों पर चल रही है कि कांग्रेस की संभावित प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री कु. शैलजा का पैतृक गांव प्रभुवाला जोकि हिसार लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है और यहां पर कु. शैलजा का पर्सनल दस हजार के आसपास है। के आलावा कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट पर भी वोट बैंक पर मजबूत पकड़ है।

हरियाणा कांग्रेस जो दो धड़ों मे एसआरके खेमे मे कु.शैलजा,किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे मे अपने वर्चस्व को लेकर छिड़ी जंग मे सिरसा लोकसभा सुरक्षित सीट पर भी कु. शैलजा को भीतरघात होने का भय सताया जा रहा है।क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र की दो डबवाली से अमित सिहाग और कालावाली(सुरक्षित) सीट से शिशपाल केहरवाला विधायक हैं और विपक्षी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे मे इनकी गिनती होती है। ऐसे मे कांग्रेस की संभावित प्रत्याशी शैलजा इस सीट से दो बार पहले ही यहां से सांसद चुनी गई है। लेकिन बाद मे कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजनलाल के साथ राजनीति मे 36 का आंकड़ा होने के चलते उनको अपना यह सिरसा संसदीय क्षेत्र को छोड़कर अंबाला रिजर्व सीट से चुनाव लड़ना पड़ा और जीत भी हासिल हुई।

सिरसा लोकसभा सीट पर कांग्रेस अगर कु.शैलजा को इस  चुनाव मैदान मे उतारती है तो वह किसी भी प्रकार का कोई रिस्क न लेकर चुनाव मे अपनी जीत सुनिश्चित करने के विपक्षी दल इनैलो व कांग्रेस प्रत्याशी से अपना राजनीति लाभ उठाने के लिए पर्दे के पिछे कोई भी खेला खेल सकते हैं। क्योंकि इस लोकसभा चुनाव मे कुरुक्षेत्र से इनैलो प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला हिसार सीट पर जीत हासिल करने के लिए दोनों मे राजनीति खिचड़ी पक सकती है। इस बात की आजकल सिरसा संसदीय क्षेत्र के लोगों मे चर्चा जोरों पर चल रही है। इसकी पुष्टि कर पाना बेहद मुश्किल है,लेकिन चर्चा राजनीतिक गलियारों में खूब जीभर चल रही है।