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हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री के जीवट एवं कड़ी मेहनत से सजी कार्य प्रणाली में प्रदेशवासियों को नज़र आ रहा एक सशक्त एवं जुझारू नेतृत्व

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हिमाचल प्रदेश  Published by: Yudhisther Rana, Date: 21/01/2023 01:52:48 pm Share:
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  • 21/01/2023 01:52:48 pm
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संक्षेप

सत्ता सुख के बजाय व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से प्रदेश की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के जीवट एवं दूसरे से हटकर कड़ी मेहनत से सजी कार्य प्रणाली में प्रदेशवासियों को एक सशक्त नेतृत्व की नई उम्मीद की किरण नज़र आ रही है। प्रदेश हित में कड़े फैसले लेने की उनकी क्षमता ने लोगों में एक विश्वास पैदा किया है जिसकी लंबे समय से कमी प्रदेशवासी महसूस कर रहे थे।

विस्तार

सत्ता सुख के बजाय व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से प्रदेश की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के जीवट एवं दूसरे से हटकर कड़ी मेहनत से सजी कार्य प्रणाली में प्रदेशवासियों को एक सशक्त नेतृत्व की नई उम्मीद की किरण नज़र आ रही है। प्रदेश हित में कड़े फैसले लेने की उनकी क्षमता ने लोगों में एक विश्वास पैदा किया है जिसकी लंबे समय से कमी प्रदेशवासी महसूस कर रहे थे।

11 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के उपरांत लगभग डेढ़ माह के अपने कार्यकाल में ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दर्शा दिया है कि वे अपने पूर्ववर्तियों से थोड़ा अलग रुख अख्तियार करते हुए शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त रखने में स्वयं उदाहरण बनकर सबको प्रोत्साहित कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कदम सर्वप्रथम निराश्रितों का सहारा बनने की ओर आगे बढ़े और उन्होंने बालिका आश्रम टूटीकंडी में समय बिताकर उनके दुःख-दर्द को तो साझा किया ही, साथ ही संवेदनशील नेतृत्व का परिचय भी दिया। असहायों का सहारा बनने की अपनी इस सोच को साकार करने में भी उन्होंने ज्यादा वक्त नहीं लिया और मुख्यमंत्री सुख-आश्रय सहायता कोष के गठन और इसमें सबसे पहले अपना प्रथम वेतन प्रदान कर यह साबित कर दिया कि हिमाचल सरकार वास्तव में लोगों के लिए सुख की सरकार है। त्यौहारों पर आश्रमवासियों को उत्सव अनुदान तथा वार्षिक वस्त्र अनुदान प्रदान करने के उनके निर्णय कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को और मजबूत करते हैं।

वर्ष 1981-82 में छात्र राजनीति से ही जुझारू व्यक्तित्व का परिचय देने वाले ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आम लोगों से जुड़ाव और उनकी समस्याओं के प्रति समझ उनके लंबे राजनीतिक संघर्ष के दौरान और भी गहरी होती गई। चार दशकों तक संघर्ष के उपरांत मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की सेवा का अवसर मिलने पर उन्होंने अपने अनुभवों के उपयोग से कल्याणकारी, पारदर्शी, जवाबदेह प्रशासन प्रदान करने के लिए अनेकों पहल की हैं। विशिष्ट जनों को मिलने वाली विशेष सुविधाओं को आम जन के समान कर उन्होंने समानता एवं मितव्ययता के प्रति अपनी सोच को उजागर किया है। वहीं भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता की बानगी हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग के बारे में लिए गए कड़े एवं त्वरित निर्णय में सहज ही झलक जाती है।

राजनीति में अपने जीवट का बखूबी परिचय देने वाले ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बनने के बाद अब और कड़ी मेहनत कर सबके लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। दिनभर लोगों से मिलने-जुलने के उपरांत देर शाम तक प्रदेश सचिवालय में उच्चाधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित कर प्रदेश के तीव्र विकास का खाका तैयार करने में मुख्यमंत्री जुटे रहते हैं। अकसर दोपहर बाद से शुरू होने वाला बैठकों का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहता है। उद्देश्य एकदम साफ है कि बिखरे पड़े विकास कार्यों और नवोन्मेषी योजनाओं को तीव्र गति से धरातल पर उतारते हुए प्रदेश को आर्थिक संकट से उबार कर समृद्धि के पथ पर आगे ले जाया जा सके।

हाल ही में इसकी बानगी भी देखने को मिली जब 18 जनवरी को वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में लगभग 25 किलोमीटर पैदल चलने के उपरांत मुख्यमंत्री दूसरे ही दिन अपने दायित्वों में उसी तन्मयता के साथ फिर से जुट गए और 19 जनवरी को कांगड़ा जिला के नूरपुर तथा मंडी जिला के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्रों में जन-समस्याएं निपटाने के बाद सायंकाल शिमला पहुंचे और देर रात तक अधिकारियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर बैठकों में व्यस्त हो गए। उनकी इस कड़ी मेहनत से प्रशासनिक अमला भी नई स्फूर्ति एवं ऊर्जा के साथ कार्य करते हुए हमकदम बन रहा है।

मुख्यमंत्री की जन सेवा एवं कठिन परिश्रम की इस छवि के कायल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी नज़र आए। शपथ ग्रहण समारोह की बात हो या फिर भारत जोड़ो यात्रा का सफल संचालन, राहुल गांधी को ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू मेें एक जुझारू एवं कर्मठ नेतृत्व नज़र आया है। यही कारण है कि इंदौरा में भारत जोड़ो यात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री को आम आदमी की आवाज़ सुनने वाले एक संवेदनशील नेता की उपाधि से सुशोभित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि, ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू में लेशमात्र भी अहंकार नहीं है और वे जमीन से जुड़े हुए व्यक्तित्व हैं। यही कारण है कि, राहुल गांधी ने उन्हें ‘सुक्खू भाई’ का आत्मीय संबोधन भी दिया।

पार्टी हाईकमान से मिली इस शाबाशी ने ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का प्रदेश की राजनीति में कद और बड़ा कर दिया है। उन्होंने अपनी मददगार की छवि से यह भी साबित किया है कि उनके लिए प्रदर्शन एवं दिखावे से ज्यादा आम कार्यकर्ता एवं आम आदमी का कल्याण तथा हर तरह से सुखकारी एवं सुलभ शासन-प्रशासन उपलब्ध करवाना अधिक महत्वपूर्ण है।