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महाराष्ट्र: चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर महाकाली भक्तों की उमड़ी भीड़

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  Published by: Sumita Ajay Sharma , Date: 25/04/2024 02:01:01 pm Share:
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  • 25/04/2024 02:01:01 pm
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संक्षेप

महाराष्ट्र: चंद्रपुर में स्थित पुरातन महाकाली मंदिर में चैत्र नवरात्रि में आसपास के जिलों तथा पड़ोसी राज्यों से महाकाली भक्तों का बड़ी संख्या में आगमन होता है । चंद्रपुर शहर के झरपट नदी के किनारे स्थित माता महाकाली मंदिर का निर्माण  16 वीं शताब्दी के आसपास गोंड राजवंश के राजा राम शाह ने करवाया था । उस समय अंचलेश्वर मंदिर निर्माण के दौरान झटपट नदी की गुफा में माता महाकाली की मूर्ति मिली थी उस मूर्ति को झटपट नदी के किनारे स्थापित किया गया । 

विस्तार

महाराष्ट्र: चंद्रपुर में स्थित पुरातन महाकाली मंदिर में चैत्र नवरात्रि में आसपास के जिलों तथा पड़ोसी राज्यों से महाकाली भक्तों का बड़ी संख्या में आगमन होता है । चंद्रपुर शहर के झरपट नदी के किनारे स्थित माता महाकाली मंदिर का निर्माण  16 वीं शताब्दी के आसपास गोंड राजवंश के राजा राम शाह ने करवाया था । उस समय अंचलेश्वर मंदिर निर्माण के दौरान झटपट नदी की गुफा में माता महाकाली की मूर्ति मिली थी उस मूर्ति को झटपट नदी के किनारे स्थापित किया गया । 


जिसके बाद रानी हिराई ने 18वीं। शताब्दी में इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
माता महाकाली मंदिर पुरातन होने के साथ साथ प्रसिद्ध मंदिर है । इस मंदिर से आसपास के राज्यों तथा अनेक जिलों के भक्तों से जुड़ी कई पौराणिक घटनाएं भी है जिस वजह से चित्र पूर्णिमा को  माता के दर्शन हेतु सम्पूर्ण विदर्भ ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों जैसे तेलंगाना आंध्रप्रदेश छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से लोग यहां माता महाकाली के दर्शन हेतु आते है। 


और झरपट नदी में आस्था की डुबकी लगाते है । प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 14 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही माता की विधिवत  पूजा अर्चना शुरू हुई और 23 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह 4 बजे माता महाकाली की मंदिर के मुख्य पुरोहित द्वारा  विधिवत महापूजा तथा अभिषेक व माता को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए गए ।   


इस दिन विदर्भ तथा आसपास के अनेक राज्यों से हजारों भक्तों ने माता महाकाली के दर्शन किए । चैत्र नवरात्रि में मंदिर परिसर में मेले का आयोजन भी किया जाता है जहा विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ, खिलौने पूजा सामग्री आदि की दुकानें होती है । विभिन्न राज्यों तथा विदर्भ के अलग अलग जिलों से आनेवाले भक्तों के रहने की व्यवस्था मंदिर परिसर के मैदान में पंडाल डालकर की जाती है । एक प्रकार से ये नवरात्रि के नौ दिन चंद्रपुर में माता महाकाली का ही वास होता है।