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मध्य प्रदेश: तिलक सिंदूर मंदिर से कचारगढ़ के लिए कलश यात्रा की शुरुआत
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मध्य प्रदेश: प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी तिलक सिंदूर मंदिर से कलश यात्रा की शुरुआत हुई, जो भगवान भोलेनाथ और प्रकृति शक्ति बड़ादेव की पूजा के साथ कचारगढ़ के पवित्र गुफा दर्शन के लिए रवाना हुई। यात्रा में श्रद्धालु 10 फरवरी से 14 फरवरी तक सेवा प्रदान करेंगे और इस दौरान आदिवासी पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यह यात्रा इटारसी के तिलक सिंदूर मंदिर से शुरू होकर सोहागपुर, पिपरिया, मटकुली, तामिया, परसिया, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, लाझी, आमगांव होते हुए कचारगढ़ पहुंची। यात्रा का स्वागत जनपद सदस्य सुखराम कुमार, सरपंच डोरीलाल चीचाम, खुमान भल्लावी, मिडिया प्रभारी विनोद वारिवा ने किया। यात्रा के अध्यक्ष जितेंद्र धुर्वे, सुदेश उईके, रामोतार परते, श्याम उईके, महेश एक्के, उदेसिह धुर्वे, मानसिंह परते, गबूलाल परते, विशान बट्टी, श्रीराम कुमारे, निलेश धुर्वे, रवि उईके, धनसिह परते, धमेंद्र धुर्वे और राजेश उईके सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। कचारगढ़, जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है, एशिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक गुफाओं में से एक है। यह गुफा 518 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई 94 मीटर और गुफा का द्वार 25 मीटर का है। गुफा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यात्रा का प्रमुख उद्देश्य कचारगढ़ के पवित्र गुफा के दर्शन करना और वहां की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की पूर्ति करना है। इस यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु भगवान बड़ादेव की पूजा और आरती कर कचारगढ़ की ओर आगे बढ़ेंगे, जहां यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु पारंपरिक मेले का आनंद भी लेंगे।