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मध्य प्रदेश: बैगा आदिवासी परिवारों को वन भूमि से बेदखल करने की तैयारी, न्याय की मांग

- Photo by : ncr samachar

मध्य प्रदेश:   Published by: Indramen Marko , Date: 16/01/2025 05:26:59 pm Share:
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मध्य प्रदेश: मंडला जिले के जमगांव दादर (मेंढा) विकास खंड मवई में स्थित वन भूमि पर बीते दो दशकों से खेती कर रहे बैगा आदिवासी परिवारों को बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वन विभाग द्वारा उक्त भूमि पर गड्ढे किए जा रहे हैं, ताकि वहां वृक्षारोपण किया जा सके। इस भूमि पर खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले बैगा परिवारों को अब अपनी आजीविका के संकट का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2001 में इस भूमि को लेकर 44 बैगा आदिवासी परिवारों पर अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था, हालांकि 2006 में बने वन अधिकार कानून के तहत इस भूमि पर निवास करने वाले आदिवासियों को अधिकार देने का प्रावधान है। 13 दिसंबर 2005 तक वन भूमि पर काबिज आदिवासी परिवारों को वन भूमि का अधिकार पत्र मिलने का प्रावधान है। इन बैगा परिवारों के पास अन्य कोई कृषि भूमि नहीं है और वे इस भूमि पर अपनी आजीविका चला रहे हैं। इन परिवारों ने वन अधिकार का दावा भी पंचायत में प्रस्तुत किया था, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वन अधिकार कानून की धारा 4(5) के अनुसार, "जब तक मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजाति या अन्य परंपरागत वन निवासियों को उनकी वन भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता।" इसके बावजूद, वन विभाग और कुछ गांव के लोग मिलकर इस भूमि पर वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खोद रहे हैं, जबकि उक्त भूमि पर बड़े डोली, बांधा खेत और प्रधानमंत्री आवास तक बने हैं। इस मामले में गांव के लोग और वन अधिकार समिति के सदस्य, जैसे मानसिंह निमोनिया, बैसाखु मुर्खिया, नंद कुमार धुर्वे, बुधराम मरावी, राम रतन मरावी, सुभरन बाई, संगीता विश्वकर्मा आदि ने कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और इन परिवारों को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। यह मामला अब एक गंभीर विवाद बन गया है, और आदिवासी परिवारों की आशंका है कि उन्हें उनकी भूमि से जबरन बेदखल किया जाएगा, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ जाएगा।