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उत्तर प्रदेश: मानसून करने लगा छल, खेतों में रुक गए हल

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  Published by: Anand Kumar , Date: 13/07/2024 03:59:51 pm Share:
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  • 13/07/2024 03:59:51 pm
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संक्षेप

उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले तथा आसपास के क्षेत्र मानसूनी वर्षा की प्रतीक्षा बेचैनी में बदलती जा रही है। एक और समूचे  सोनभद्र  क्षेत्र में खेतों में चलने वाले हल थम गए हैं तो दूसरी ओर पानी न गिरने से बाजार भी बेचैन हो उठा है। दिन में छिटपुट बादलों के बीच सूर्य की तेज चमक से उपजे उमस के कारण घमौरियां, आंत्रशोथ, डायरिया, मलेरिया और मौसमी बुखार के साथ-साथ अन्य संक्रामक बीमारियां लोगों को अपने चंगुल में जकड़ना शुरू कर दिया है। 

विस्तार

उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले तथा आसपास के क्षेत्र मानसूनी वर्षा की प्रतीक्षा बेचैनी में बदलती जा रही है। एक और समूचे  सोनभद्र  क्षेत्र में खेतों में चलने वाले हल थम गए हैं तो दूसरी ओर पानी न गिरने से बाजार भी बेचैन हो उठा है। दिन में छिटपुट बादलों के बीच सूर्य की तेज चमक से उपजे उमस के कारण घमौरियां, आंत्रशोथ, डायरिया, मलेरिया और मौसमी बुखार के साथ-साथ अन्य संक्रामक बीमारियां लोगों को अपने चंगुल में जकड़ना शुरू कर दिया है। 


वर्षा की कमी को देखते हुए व्यापारिक, कृषक व नौकरी पेशा वर्ग इसे भावी अकाल की आशंका के रूप में देखने लगे हैं।एक सप्ताह के अंदर अगर सोनभद्र क्षेत्र में भरपूर वर्षा नहीं हुई तो धान सहित तिलहन की खेती पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। जुलाई माह आधा बीतने को आया और अधिकांश खेतों में धान की नर्सरी का बीज भी नहीं पड़ी है। कुछ सिंचाई वाले स्थानों पर किसान धान की बोनी कर बैठे लेकिन मौसम के अचानक खुलने के बाद खेतों के अंकुरित पौधे पितांबर रंग ग्रहण करने लगे हैं। 

इसी प्रकार मक्के की जो बुवाई आषाढ़ के शुरुआत में हुई है उसके बीज अंकुरित होकर छोटे पौधे का रूप ले चुके हैं। ऐसे पौधे इंद्र देवता से एकाध सप्ताह तक जंग लड़ सकते हैं। लेकिन अधिकांश जगह अंकुरित भी नहीं हुए। कुल मिलाकर जो धान व मक्के के बीच बीज अंकुरित हो चुके हैं। वह भी बचपन में ही बूढ़े नजर आ रहे हैं। इसी प्रकार उड़द तिल्ली, रहर व बाजरा इत्यादि फसलों का हाल है। फसलों को बचाने व रूठे इंद्र देवता को मनाने के लिए लोग बैगा के पास जाकर मेढ़क-मेढ़की की शादी से लेकर पूजन अर्चन की भी परंपराओं को अंजाम दे चुके हैं। घर के आंगन की गोबर से लिपाई करने, पीपल में जल चढ़ाने, मस्जिदों में इबादत करने जैसी धार्मिक परंपराएं गतिशील नजर आ रही हैं।