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हरियाणा के नारनौल में मनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती, भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती - Photo by : NCR Samachar
संक्षेप
भारत माता की आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती "पराक्रम दिवस" पर आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानी की वीरांगना बर्फी देवी को सम्मानित किया गया।
विस्तार
स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार के तत्वाधान में देश की आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती "पराक्रम दिवस" पर सांयकाल जय हिंद, वंदे मातरम, भारत माता की जय के उद्घोष के साथ आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानी सुल्तान राम की वीरांगना बर्फीदेवी 87 वर्षीय तोतहेड़ी सिलारपुर, नारनौल स्थित आवास पर उनके पति द्वारा देश की आजादी के लिए कियें गयें महान कार्यों हेतु नेताजी सुभाष चंद्र बोस का चित्र, पुष्पगुच्छ, गीता ग्रंथ, शाल, मोमेंटो एवं पौधा प्रतिनिधिमंडल ने भेंट कर सम्मानित कर उत्तम स्वास्थ्य दीर्घायु की कामना की गई। इस अवसर पर वैदिक संस्कृति के प्रचारक जगराम आर्य ने कहा नेताजी ने अंग्रेजों से वीरता पूर्ण लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देश के इतिहास में हमेशा अजर अमर रहेगा। उन्होंने कहा आजाद हिंद फौज के जमाने में एकता की भावना थी जिसके बल पर उन्होंने जाति, धर्म व सांप्रदायिकता आदि भेदभाव को बुलाकर कंधे से कंधा मिलाकर देश की आजादी के लिए खून बहाया। नेताजी ने देश की स्वाधीनता के लिए कोई समझौता नहीं किया। पर्यावरणविद प्रोफेसर आरएन यादव ने कहा, मातृभूमि के स्नेह और उसकी स्वतंत्रता के लिए किए गए अथक प्रयासों के कारण नेताजी सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे। सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज का वह अमर सिपाही है जो भारतीय जनता के मानस पटल पर सदैव एक चमकते सितारे की तरह। उन्होंने कहा नेताजी के आदर्श युवा पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित करते रहेंगे। कार्यक्रम के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.आर.के.जांगड़ा विश्वकर्मा, सदस्य, स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार एसटीएफ ने कहा देश की एकता और अखंडता के लिए नेताजी द्वारा 'दिल्ली चलो' के नारे के साथ सारा देश एकजुट होकर एक मंच पर आकर खड़ा हो गया था। विदेशी राष्ट्रों की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध वातावरण तैयार करके भारत की मुक्ति का रास्ता निकालने में आजाद हिंद फौज के निर्माता रासबिहारी बोस का भी नेताजी के साथ महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रीय भाषाओं के ज्ञाता रासबिहारी बॉस ने 1912 में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका था। नेताजी द्वारा "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" और जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बनकर युवा पीढ़ी को देश भक्ति के लिए प्रेरित करता रहेगा। नेताजी की रगों में केवल देशभक्ति का खून बहता था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत मां के वीर सपूतों में से एक थे जिन का कर्ज आजाद भारतवासी कभी नहीं चुका सकते हैं। डॉ.विश्वकर्मा ने कहा अपनी मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने हेतु नेताजी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा का पद भी त्याग दिया था। भारत मां के लाल ने जब जलियांवाला बाग नरसंहार देखा तो इनका मन देश की आजादी हेतु व्यथित हो गया था। नेताजी ने 1928 में साइमन कमीशन का विरोध किया। 26 जनवरी 1931 में कोलकाता में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर मार्च का नेतृत्व किया। नेता ने गांधी से अंग्रेज सरकार से कि समझौते को तोड़कर महान क्रांतिकारी भगत सिंह को आजाद कराने का आग्रह था। देश को आजादी दिलाने में नेताजी के निकटतम सहयोगी शंकर लाल संघी, नारनौल व क्रांतिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। 20 दिसंबर 1943 को नेताजी ने अंडमान निकोबार में देश की आजादी की अस्थाई सरकार का गठन कर तिरंगा फहराया था। राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित कर उनको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री मोदी ने 23 जनवरी 2015 को नई नई दिल्ली स्थित नेशनल आर्काइव्स में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 100 फाइलों को सार्वजनिक कर उनका डिजिटल वर्जन जारी किया था।इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी से आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानियों हेतु राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक बनाने, विश्वविद्यालयों में पीठ की स्थापना करने और स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग भी की गई। सुभाष चंद्र बोस जैसे देशभक्तों की बदौलत भारत माता की गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुई थी। देश की आजादी की रक्षा करना ही इन स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम में ग्रामवासियों को स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों पर चलने और स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का आव्हान किया गया। इस अवसर पर जगराम आर्य, प्रोफेसर आरएन यादव, बर्फी देवी, बसंती देवी, निर्मला रानी, प्रिया रानी, रणजीत सिंह, रितु देवी सरपंच, प्रदीप कुमार, पवन कुमार, राजपाल, अजय शर्मा, पवन कुमार, सुनील कुमार आदि गणमान्य वर्ग विशेष रूप से उपस्थित थे।
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