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उत्तर प्रदेश: नहाये-खाये के साथ आज से सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा शुरू
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: छठ का त्यौहार दुनिया के सबसे पर्यावरण- अनुकूल धार्मिक त्योहारों में से एक है। लोक आस्था का पर्व छठ सूर्य देव को समर्पित है.वैदिक ज्योतिष के अनुसार छठी माता बच्चों को बीमारियों और रोगों से बचाकर लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती है। छठ पर्व का उल्लेख दोनों प्रमुख भारतीय महाकाव्यों में किया गया है।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: छठ का त्यौहार दुनिया के सबसे पर्यावरण- अनुकूल धार्मिक त्योहारों में से एक है। लोक आस्था का पर्व छठ सूर्य देव को समर्पित है.वैदिक ज्योतिष के अनुसार छठी माता बच्चों को बीमारियों और रोगों से बचाकर लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती है। छठ पर्व का उल्लेख दोनों प्रमुख भारतीय महाकाव्यों में किया गया है। रामायण में जब राम और सीता अयोध्या लौटे, तो लोगों ने दीपावली मनाई, और उसके छठवें दिन रामराज्य स्थापित हुआ। इस दिन राम और सीता ने व्रत रखकर छठ पूजा सीता ने की थी.महाभारत में छठ पूजा कुंती द्वारा लाक्षागृह से भागने के बाद की गई थी। माना जाता है कि सूर्य और कुंती के पुत्र कर्ण का गर्भाधान कुंती द्वारा छठ पूजा करने के बाद हुआ था। यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। इसमें 36 घंटे तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रखा जाता है. इस व्रत को रखने वाले लोग 24 घंटे से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखते हैं.इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से ही हो जाती है। जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्ध्य देने के बाद समाप्त हो जाता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु,रोग मुक्ति जीवन और सुख समृद्धि के लिए रखती हैं। 5 नवंबर छठ पूजा के पहले दिन नहाय -खाय के दिन नदी,तालाब में स्नानकर सात्विक भोजन ग्रहण किया जाएगा। दूसरे खरना के दिन माताएं दिनभर व्रत रखती हैं और पूजा के बाद गुड़ का खीर खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होगा। तीसरे दिन माताओं द्वारा सूर्यास्त के समय नदी या तालाब पर जाकर सूर्य देव को अर्ध्य दिया जायेगा। छठ के आखिरी दिन 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद माताओं द्वारा व्रत का पारण कर दिया जाएगा।
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