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उत्तर प्रदेश: क्या मुख्यमंत्री फड़नवीस मुनगंटीवार की राजनीति को खत्म कर चंद्रपुर पर कब्जा करना चाहते हैं?
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विस्तार
समीर कुमार वरखेड़े / उत्तर प्रदेश: चंद्रपुर जिले के विधायक सुधीर मुनगंटीवार को 'चंद्रपुर के बाघ' के नाम से जाना जाता है। उनके नेतृत्व में चंद्रपुर जिले ने समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छुआ और उनका नाम न केवल महाराष्ट्र बल्कि देशभर में फैल चुका है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि मुनगंटीवार की राजनीति को समाप्त करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। यह आरोप मुनगंटीवार के समर्थकों द्वारा लगाए जा रहे हैं, और यह भी संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस चंद्रपुर में तख्तापलट कर इस जिले पर कब्जा करने की योजना बना रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य मंत्रिमंडल में मुनगंटीवार को जगह न मिलने को इस संदर्भ में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है। इसके साथ ही, यह भी कहा जा रहा है कि फड़नवीस का उद्देश्य मुनगंटीवार को दरकिनार कर चंद्रपुर में किसी और विधायक को आगे बढ़ाना है, ताकि मुनगंटीवार के प्रभाव को समाप्त किया जा सके। मुनगंटीवार के पिछले दस वर्षों के कार्यों ने चंद्रपुर के विकास को नया मोड़ दिया, जिसे देशभर में सराहा गया। उन्होंने ब्रिटिश संग्रहालय से छत्रपति शिवाजी महाराज के बाघनख को भारत लाकर देश को गौरव प्रदान किया, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे सराहा। इसके बावजूद, मुनगंटीवार को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया और उनके कामों को नकारने की कोशिश की जा रही है। अब चंद्रपुर के विधायक किशोर जोर्गेवार का नाम सामने आ रहा है, जो मुनगंटीवार के करीबी समर्थक थे। जोर्गेवार ने एक समय मुनगंटीवार के नेतृत्व में राजनीति में कदम रखा था और वे गर्व से यह कहते हैं कि मुनगंटीवार उनके गुरु हैं। हालांकि, हाल ही में जोर्गेवार ने सार्वजनिक रूप से मुनगंटीवार का अपमान किया, जो उनके राजनीतिक गुरु रहे हैं। इसी संदर्भ में, एक कार्यक्रम के निमंत्रण पत्रिका में मुनगंटीवार का नाम तीसरे स्थान पर रखा गया, जबकि मुख्यमंत्री फड़नवीस का नाम पहले स्थान पर था। यह कदम मुनगंटीवार के समर्थकों द्वारा अपमानजनक माना जा रहा है और इसे भाजपा के लिए भविष्य में एक बड़ा सिरदर्द बनाने की आशंका जताई जा रही है। यह मामला न केवल भाजपा की आंतरिक राजनीति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चंद्रपुर जिले में सत्ता की कुर्सी के लिए होड़ तेज हो गई है। अब देखना यह है कि क्या मुनगंटीवार के समर्थक इस अपमान को नजरअंदाज करते हैं, या यह आगामी चुनावों में भाजपा के लिए एक नई चुनौती बन जाएगा।