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उत्तर प्रदेश: अंतरप्रांतीय तीन दिवसीय बेचूबीर मेला मनरी वाद्य के साथ हुआ समापन, लाखों श्रद्धालु हुए शामिल

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उत्तर प्रदेश  Published by: Anup Kumar , Date: 03/11/2025 11:28:56 am Share:
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  • 03/11/2025 11:28:56 am
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संक्षेप

उत्तर प्रदेश: जनपद के अहरौरा नगर के दक्षिणी छोर पर स्थित लगभग 12 किलो मीटर दुर ग्राम सभा बरही में तीन दिवसीय अंतरप्रांतीय ऐतिहासिक बेचूबीर मेले का मनरी वाद्य बजने के साथ हुआ समापन।

विस्तार

उत्तर प्रदेश: जनपद के अहरौरा नगर के दक्षिणी छोर पर स्थित लगभग 12 किलो मीटर दुर ग्राम सभा बरही में तीन दिवसीय अंतरप्रांतीय ऐतिहासिक बेचूबीर मेले का मनरी वाद्य बजने के साथ हुआ समापन। बता दें कि यह मेला अंतरप्रांतीय मेले के रूप में जनपद का सबसे बड़ा मेला माना जाता है इस मेले में पुत्र प्राप्ति के लिए एवं भूत प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने और घर परिवार में सुख शांति के लिए आते है श्रद्धालु ! मेला में दूर दराज के साथ अन्य प्रदेशों से भी आते हैं भक्त ! बरहिया माता एवं बेचूबीर के चौरी पर माथा टेकने से उनकी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं, तीन दिनों में इस मेले में यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार से लगभग 4 से 5 लाख श्रद्धालु आते हैं !

Vo- आप को बता दे की सैकड़ों वर्ष पहले बरही गांव में बेचू यादव नामक व्यक्ति थे बरही गांव चारों तरफ जंगल से घिरा हुआ था बेचू यादव जंगल में भैंस चराने गए हुए थे तभी उनकी लड़ाई शेर से हो गई बेचू यादव घायल हो गए और शेर भी घायल हो गया किसी तरह अपने घर बरही गांव में  घायल अवस्था में पहुचे जहा पर उनकी चौरी है उसी समय आकाशवाणी हुई कि जो मांगना हो मांग लो जब  घायल बेचू यादव ने मागा की जो भी हमारे समाधी स्थल पर माथा टेकेगा उसकी मनोकामना पूरी होगी ! सैकड़ो बर्षो से आज भी लोग इस चौरी पर आकर माथा टेकते है वही जब उनकी पत्नी बरहिया माता को मौत की जानकारी हुई तब गांव से कुछ ही दुर पर 12 दिन की अपने बच्ची को लेकर सती हो गई । 


मान्यता है कि बेचू बीर चौरी से 5 किलोमीटर पहले भक्सी नदी में श्रद्धालु स्नान करने के बाद पुराने कपड़े को वहीं उतार देते हैं और वहीं से नया कपड़ा धारण कर चौरी पर दर्शन के लिए जाते हैं ! और भक्तो द्वारा चौरी पर छोटे छोटे बकरे के बच्चे को चढा कर छोड दिया जाता है ! वही मेला का समापन एकादशी के दिन 4:00 बजे भोर में विशेष वाद्य यंत्र मनरी बजाकर पुजारी द्वारा समाप्त होता है और प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को चावल का दाना अक्षत के रूप में दिया जाता है जिसे श्रद्धालु प्रसाद लेकर अपने-अपने घर चले जाते है। वही हम विज्ञान की बात करें तो विज्ञान में एक से एक शोध हो रहे हैं इंसान चांद पर बस्ती बसाने के फिराक मे है वही इस मेले की अलग पहचान है। इसे आस्था कहे या अंधविश्वास विज्ञान की इस युग में महिलाएं भूत प्रेत बधाओ से मुक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए कई राज्यो से  बेचूबीर बाबा के दरबार में आते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

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