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उत्तर प्रदेश: राज्य में नशे का हो रहा बच्चों पर बुरा असर
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है। जो हमारे समाज में आम है। हम जानते हैं कि मानव ही इस धरती पर सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली है और अपने जीवन को सुखद बनाने के लिए हर संभव कोशिश करता है लेकिन अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक परिणामों का शिकार हो जाते हैं और आजीवन नशे की लत में रहते। नशे में ज़िंदगी खराब छोटी उम्र में नशे मे आकर अपनी ज़िंदगी को खराब कर रहे है बच्चे।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है। जो हमारे समाज में आम है। हम जानते हैं कि मानव ही इस धरती पर सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली है और अपने जीवन को सुखद बनाने के लिए हर संभव कोशिश करता है लेकिन अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक परिणामों का शिकार हो जाते हैं और आजीवन नशे की लत में रहते। नशे में ज़िंदगी खराब छोटी उम्र में नशे मे आकर अपनी ज़िंदगी को खराब कर रहे है बच्चे। सरकार इन पीड़ितों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है, शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है।
बच्चो की उम्र 16, 17 साल है। जिस उम्र मे बच्चे अपनी ज़िंदगी बनवाने के लिए जिंदगी मे आगे बड़ कर अपनी ज़िंदगी सही करते हैं उसी उमर मे ये बच्चे नासा कर अपनी ज़िंदगी को खतम कर रहे है। व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है।