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राजस्थान: किसान अन्नदाता हैं, उनकी स्थिति सुधारना अनिवार्य डॉ. अजीत कर्नाटक

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राजस्थान  Published by: Pappu Lal Sharma , Date: 07/10/2025 04:08:56 pm Share:
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  • 07/10/2025 04:08:56 pm
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संक्षेप

राजस्थान:  कृषि विज्ञान केन्द्र गाँधीनगर भीलवाड़ा पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के माननीय कुलगुरू डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने केन्द्र पर आयोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा

विस्तार

राजस्थान:  कृषि विज्ञान केन्द्र गाँधीनगर भीलवाड़ा पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के माननीय कुलगुरू डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने केन्द्र पर आयोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तिलहन योजनान्तर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण एवं आदान वितरण कार्यक्रम में किसानों को आह्वान किया कि किसान भाई देश के अन्नदाता है अतः कृषि वैज्ञानिक नवीनतम तकनीकी द्वारा इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करें। डॉ. कर्नाटक ने बताया कि तिलहन उत्पादन को बढ़ाना अति आवश्यक है तभी किसान भाई अधिक आमदनी प्राप्त कर अपना सामाजिक एवं आर्थिक जीवन सुदृढ़ कर सकेंगे। डॉ. कर्नाटक ने कृषि विज्ञान केन्द्र शाहपुरा द्वारा संचालित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेताओं हेतु पाठ्यक्रम प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले संभागियों को सुझाव दिया कि वे कृषि कार्यमाला की सिफारिशों के अनुसार किसानों को खाद, बीज एवं उर्वरक उपलब्ध करवाये साथ ही ईमानदारी से काम करते हुए अपनी साख बनाये। 

डॉ. कर्नाटक ने खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को विश्वविद्यालय के ब्राण्ड ऐम्बेसेडर बताया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. सी. एम. यादव ने माननीय कुलगुरू का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए केन्द्र द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं एवं गतिविधियों से अवगत करवाया। डॉ. यादव ने माननीय कुलगुरू द्वारा प्राप्त निर्देशों को पूर्ण करने का आश्वासन भी दिया। संगम विश्वविद्यालय भीलवाड़ा के अधिष्ठाता डॉ. जे. के. बालियान ने किसानों को सरसों की उन्नत किस्में, बीज की उपलब्धता, बीज उपचार, खरपतवार नियन्त्रण, कीटनाशी का सन्तुलित उपयोग एवं बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अवगत करवाया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र शाहपुरा के सह आचार्य एवं पाठ्यक्रम सह समन्वयक डॉ. राजेश जलवालिया ने वैज्ञानिक तरके से बागवानी करने एवं बेमौसम सब्जी उत्पादन द्वारा आय बढ़ाने पर जोर दिया। सहायक आचार्य डॉ. एच. एल. बुगालिया ने खेती के साथ-साथ पशुपालन अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में 50 किसानों को सरसों की उन्न्त किस्म राधिका के बीज निःशुल्क उपलब्ध करवाये गये।