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Supreme Court banned firecrackers: सुप्रीम कोर्ट ने लगाए पटाखों पर प्रतिबंध, अब दिल्ली ही नहीं, पूरे देश में कहीं नहीं छोड़ सकते पटाखे
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संक्षेप
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से एक अहम स्पष्टीकरण में कहा कि, सिर्फ हरित पटाखों के प्रयोग की मंजूरी देने वाला उसका 2021 का आदेश सिर्फ दिल्ली-एनसीआर पर ही नहीं बल्कि पूरे भारत में लागू होगा।
विस्तार
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से एक अहम स्पष्टीकरण में कहा कि, सिर्फ हरित पटाखों के प्रयोग की मंजूरी देने वाला उसका 2021 का आदेश सिर्फ दिल्ली-एनसीआर पर ही नहीं बल्कि पूरे भारत में लागू होगा। सुनवाई के समय, पीठ द्वारा कहा गया कि बच्चे "इन दिनों" आतिशबाजी नहीं करते हैं और ऐसा बड़े करते हैं, और यह भी कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना सभी की ज़िम्मेदारी है। बेरियम लवण और अन्य प्रदूषणकारी रसायनों का प्रयोग करने वाले पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और त्योहारों के मौसम में वायु और ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के अदालत के निर्णयों का पालन करने के लिए राजस्थान सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर, सुनवाई करते हुए जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कोई नई बात नहीं है। निर्देशों की आवश्यकता थी। इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट फैसला पूरे देश के लिए बाध्यकारी हैं और राजस्थान से इस विषय पर अपने पिछले निर्देशों पर ध्यान देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में कहा था कि, पटाखों के प्रयोग पर पूर्णतः रोक नहीं है, लेकिन बेरियम साल्ट वाले पटाखों पर प्रतिबंध है। इसमें कहा गया कि सरेआम इसका उल्लंघन किया जा रहा है और चेतावनी दी गई कि किसी भी चूक के लिए विभिन्न स्तरों पर शीर्ष अधिकारियों ही "व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार होंगे"। 2018 में कोर्ट ने पटाखे जलाने के लिए एक टाइम स्लॉट निर्धारित किया था। जिसमें कहा गया था कि इन्हें दिवाली पर रात 8 बजे से 10 बजे के दौरान और नए साल तथा क्रिसमस पर रात 11:55 से 12:30 बजे के बीच ही फोड़ा जा सकता है।