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Supreme Court on odd-even scheme: दिल्ली की ज़हरीली हवाओं के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लगाई फटकार, ओड-इवन पर भी कही बड़ी बात
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लगाई फटकार - Photo by : Social Media
संक्षेप
नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकारको उसकी सम-विषम योजना पर फटकार लगाते हुए, राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को कम करने में इसके प्रभाव पर सवाल उठाया। शीर्ष अदालत ने इस योजना को "सिर्फ दिखावा" भी कहा।
विस्तार
नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकारको उसकी सम-विषम योजना पर फटकार लगाते हुए, राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को कम करने में इसके प्रभाव पर सवाल उठाया। शीर्ष अदालत ने इस योजना को "सिर्फ दिखावा" भी कहा। सम-विषम योजना की समीक्षा करते हुए न्यायमूर्ति एस. के. कौल ने कहा, "दिल्ली में सम-विषम योजना लागू किया गया है, लेकिन क्या यह कभी कामयाब हुआ है? यह सब मात्र दिखावा है।" सोमवार को दिल्ली सरकार ने कहा कि सम-विषम कार राशनिंग योजना 13-20 नवंबर तक लागू की जाएगी, जो किसी निश्चित तिथि पर केवल विषम या केवल सम नंबर प्लेट वाली कारों को चलाने की अनुमति प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के प्रभाव से मुक्ति के लिए आदेशों की एक सूची का एलान करते हुए तीखी टिप्पणी की। सिर्फ सम-विषम योजना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने पराली जलाने के संबंध में भी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों खास तौर पर भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा, "हम चाहते हैं कि इसे (पराली जलाना) रोका जाए। हम नहीं जानते कि आप इसे कैसे करते हैं, यह आपका काम है। लेकिन इसे रोका जाना चाहिए। तुरंत कुछ किया जाना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह भी कहा कि वे पराली जलाने के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना बंद करें। साथ ही कहा, "कहां कमी आई है (खेत की आग में)? फर्क सिर्फ इतना है कि आपने अचानक दोष दूसरे राज्यों पर डालने की कोशिश की है।" ...यह स्पष्ट है कि क्यों। लेकिन यह हर समय राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती।" दिल्लीवासियों को वर्षों तक गंभीर वायु प्रदूषण की वजह से परेशान नहीं किया जा सकता सुप्रीम कोर्ट ने कहा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा, ''इस तरह लोगों को मरने नहीं दे सकते।'' सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में साल-दर-साल खतरनाक प्रदूषण की स्थिति के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हर चीज को सुलझाने की आवश्यकता है, हम इस स्तर पर धैर्य में शून्य हैं।"