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 उत्तर प्रदेश: महुआ बन रहा है ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था का आधार

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  Published by: Anand Kumar , Date: 23/04/2024 10:36:57 am Share:
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  • 23/04/2024 10:36:57 am
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संक्षेप

उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले के ग्रामीण अंचलों में महुआ अर्थव्यवस्था का एक आधार बन गया है। ग्रामीण अपने परिवार के सदस्यों के साथ खेतों,जंगलों में लगे हुए महुआ के पेड़ के नीचे गिरने वाले महुआ के फूलों को एकत्रित करने में लगे हुए हैं। ग्रामीणों के लिए महुआ की फसल आजीविका का एक प्रमुख हिस्सा है। महुआ सीजन आने से रोजगार के लिए पलायन करने वाले ग्रामीण भी अब अपने क्षेत्र में वापसी करने लगते हैं। 

विस्तार

उत्तर प्रदेश: सोनभद्र जिले के ग्रामीण अंचलों में महुआ अर्थव्यवस्था का एक आधार बन गया है। ग्रामीण अपने परिवार के सदस्यों के साथ खेतों,जंगलों में लगे हुए महुआ के पेड़ के नीचे गिरने वाले महुआ के फूलों को एकत्रित करने में लगे हुए हैं। ग्रामीणों के लिए महुआ की फसल आजीविका का एक प्रमुख हिस्सा है। महुआ सीजन आने से रोजगार के लिए पलायन करने वाले ग्रामीण भी अब अपने क्षेत्र में वापसी करने लगते हैं। 


महुआ की फसल होली की त्यौहार के बाद से शुरू होने लगता है। किंतु तेज गर्मी शुरू होते ही महुआ फूलों के गिरने की मात्रा अधिक हो जाती है। इन दोनों ग्रामीण प्रतिदिन 10 से 20 किलो सूखा हुआ महुआ के फूल इकट्ठा कर रहे हैं। महुआ ग्रामीण इलाके की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। मार्च महीने से महुआ सीजन के आगमन के साथ ही ग्रामीण अंचलों में शादी -विवाह भी प्रारंभ हो जाता है, जो जुलाई तक चलता है। महुआ सीजन होने से ग्रामीणों की स्थिति ठीक-ठाक हो जाती है। 


 जिससे क्षेत्र में व्यापार/व्यवसाय में अच्छा खासा  आमदनी हो जाता है । ग्रामीणों का कहना है कि पहले महुआ के पेड़ों की संख्या अच्छी थी लेकिन अब जंगलों का कटान होने से महुआ के पेड़ों की संख्या में काफी कमी आई है। सरकारी और निजी स्तर पर महुआ का पेड़ लगाकर ग्रामीणों का आमदनी बढ़ाया जा सकता है। यदि सरकार इस फसल की खरीद बिक्री को लेकर कोई सकारात्मक योजना बनाये तो आने वाले समय में महुआ का बेहतर आर्थिक स्रोत बनेगा।