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झारखण्ड: हजारीबाग के खरगू में भी भजन‑कीर्तन के साथ विश्वकर्मा पूजा धूमधाम से संपन्न
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संक्षेप
झारखण्ड: जिले के विभिन्न स्थानों पर बुधवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की गई। खरगू पंचायत के राणा टोली और बैडमकी में बने पूजा पंडालों में विशेष आकर्षण देखने को मिला।
विस्तार
झारखण्ड: जिले के विभिन्न स्थानों पर बुधवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की गई। खरगू पंचायत के राणा टोली और बैडमकी में बने पूजा पंडालों में विशेष आकर्षण देखने को मिला। यहां दिनभर धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। भजन-कीर्तन के दौरान व्यास दुलार पंडित एवं हरि रविदास ने झाल, नाल और कैसीओ की धुन पर मनमोहक गीत प्रस्तुत किए। उनकी प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ग्रामीण देर रात तक गीत-संगीत की लय में झूमते रहे और भक्तिमय माहौल से पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहा। पूजा में हरी रविदास, सीताराम नायक, छोटू नायक, नारायण चौधरी, नंदलाल चौधरी, छोटेलाल राणा, दिनेश राणा, गांगों राणा, भुवनेश्वर राणा, छोटू यादव, सुनील यादव, प्रकाश राणा, राजू सिंह, रूपन राणा, किशुन राणा, भुनेश्वर रजक, सुशील रजक (वार्ड कमिश्नर), मिथिलेश ठाकुर, धनेश्वर रजक समेत बड़ी संख्या में ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी रही। आसपास की बस्तियों से आई महिलाएं भी आयोजन में शामिल हुईं, और रात्रि में खिचड़ी के रूप में महाभोग का वितरण किया गया। जिससे उत्सव का रंग और भी गहरा गया। विश्वकर्मा पूजा का महत्व भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लंका, द्वारका, इंद्रप्रस्थ सहित देवताओं के महलों और अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण भी विश्वकर्मा जी ने किया था। इस कारण उन्हें देव शिल्पी की उपाधि दी गई है। हर वर्ष कन्या संक्रांति (सितंबर) के दिन विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग मशीनों, औजारों और कार्यस्थलों की पूजा कर कार्य में उन्नति, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं। ग्रामीण अंचलों में यह पर्व सामूहिक रूप से मनाया जाता है, जहां भजन-कीर्तन और सामाजिक मेलजोल इसे धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक एकता का प्रतीक बना देता है।