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उत्तर प्रदेश: डीजीपी ने क्राइम सीन सुरक्षा के लिए सख्त एसओपी जारी, जघन्य अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य

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उत्तर प्रदेश  Published by: Anand Kumar (UP) , Date: 15/09/2025 11:11:58 am Share:
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  • 15/09/2025 11:11:58 am
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संक्षेप

उत्तर प्रदेश: डीजीपी राजीव कृष्ण ने क्राइम सीन मैनेजमेंट और फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी )   जारी की है. इस संचालन प्रक्रिया

विस्तार

उत्तर प्रदेश: डीजीपी राजीव कृष्ण ने क्राइम सीन मैनेजमेंट और फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी )   जारी की है. इस संचालन प्रक्रिया में खासकर हत्या, बलात्कार, पास्को आदि अपराध में क्राइम सीन को तत्काल सुरक्षित कर फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने के दिशा- निर्देश दिए गए हैं. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 176(3) के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी शाखा सेवा के निर्देशन में राजधानी स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने इसे तैयार किया है. एसओपी में पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारियां भी तय की गई है. डीजीपी ने इसका सख़्ती से पालन करने और इसमें लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी ) के मुताबिक, ऐसे सभी अपराधों जिसमें 7 साल से अधिक सजा का प्रावधान है, मुकदमा दर्ज होने के बाद थाना प्रभारी यह सुनिश्चित करेंगे कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थल का निरीक्षण करें और साक्ष्य संकलन की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाए. खासकर गंभीर अपराध, यौन अपराध, आतंकवाद।  

एनडीपीएस, हत्या, पास्को आदि के प्रकरणों में इस बाबत खास सावधानी बरतते हुए कार्य करना होगा. यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि घटनास्थल पर पहुंचने वाली फॉरेंसिक टीम के पास सभी आवश्यक उपकरण होने चाहिए. घटना स्थल पर केवल एक प्रवेश और निकासी मार्ग होना चाहिए. मीडिया, रिश्तेदार, स्थानीय लोगों को घटनास्थल से दूर रखा जाए. कोई भी वस्तु बिना छुए निरीक्षण किया जाए. इसी तरह डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को संकलित करने के लिए भी स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिसमें मोबाइल स्विच ऑन होने पर उसी स्थिति में छोड़ने, स्विच ऑफ होने पर ऑन नहीं करने, एयरप्लेन मोड पर लगाने, इस्तेमाल करने वाले मोबाइल लॉक हटवाने को कहा गया है. इसी तरह कंप्यूटर में किसी प्रोग्राम को बंद नहीं करने, स्क्रीन की स्थिति और खुले एप्लीकेशन की फोटो लेने, हार्ड डिस्क को सीधे न निकालने को कहा गया है. इसके अलावा सभी साक्ष्यों को 24 घंटे के भीतर ई-साक्ष्य पोर्टल या सीसीटीएनएस पर अपलोड करने का निर्देश भी दिया गया है। 

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