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उत्तर प्रदेश: आवादी बीच चल रही कोयला भट्टी फटने से भड़कीआग, सार्वजनिक सुरक्षा पर उठे सवाल
- Photo by : social media
संक्षेप
उत्तर प्रदेश: बरेली के मीरगंज कस्बे में उस समय हडकम्प मच गया जब आवादी के बीचो बीच संचालित दहकती एक कोयला की भटटी फटने के साथ आग की लपटें तेजी से उठने लगीं
विस्तार
उत्तर प्रदेश: बरेली के मीरगंज कस्बे में उस समय हडकम्प मच गया जब आवादी के बीचो बीच संचालित दहकती एक कोयला की भटटी फटने के साथ आग की लपटें तेजी से उठने लगीं और धुंआ भी चारो ओर फैलने लगा। जिससे आसपास रह रहे लोग अपने घरों से निकल कर वाहर आ गये। सूचना पर पहुंची दमकल विभाग की टीम ने बमुश्किल घंटों मशक्कत करने के बाद आग पर काबू पाया। तब कहीं लोगों ने राहत की सांस ली। बता दें कि जनपद बरेली के मीरगंज नगर पंचायत इलाके से गुजर रहे हाइवे 24 से कुछ दूरी पर मोहल्ला खानपुरा की आराजी में बसी घनी आवादी के मध्य दशकों पूर्व से कोयला बनाने की मीरगंज कस्बा निवासी इशरत व उनके बहनोर्ह जुल्फू की भटिटयां संचालित हैं। जहां भटटी संचालित हैं उसके इर्द गिर्द काफी तादात में आवासीय भवन बने हुए हैं जिसमें तमाम लोग रहकर जीवन यापन कर रहे हैं। दोपहर में एक कोयला भटटी दहक रही थी कि अचानक की एक कोयला भटटी फट गयी और भटटी से निकलने वाला धुंआ आसमान में तो गया ही, दूसरी ओर इस मामले को नगर पंचायत प्रशासन को भी स्वच्छ बाताबरण के लिहाज से अभी तक क्यों नहीं देखा गया। आखिर इसकी अनदेखी क्यों की गई। फिलहाल हम नहीं बल्कि जनता तरह तरह के सबाल कर रही है। और अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले में प्रशासन की जांच में क्या सही है और क्या गलत पाया जाता है। और अगली कार्यवाही क्या होगी। यह तो भविष्य ही बतायेगा।
वहीं घरों में भी धंस गया। और आग की लपटें तेजी से भटटी से निकलने लगीं। यह हालात देख आसपास के लोगों में हलचल भरी दहशत व्याप्त हो गयी। और लोग घबराकर अपने अपने घरों से बाहर निकल आये। सूचना पर पहुंची दमकल टीम ने पानी की फुआरों के साथ कड़ी मशक्कत काफी समय तक की । तब कहीं आग पर काबू पाया जा सका। जिससे इर्द गिर्द रह रहे लोगों ने राहत की सांस ली जांच के घेरे में आवादी के बीच संचालित कोयला निर्माण की भटिटयां बरेली के मीरगंज नगर पंचायत में हाइवे से कुछ दूरी पर ही घनी आवादी के मध्य संचालित कोयला बनाने वाली भटिटयों के मामले में तमाम तरह के सबाल उठने लगे हैं। जिससे मामला अब प्रशासनिक जांच के दायरे में पहुंच गया है। सवाल यह है कि इस तरह से घनी आवादी के मध्य कोयला भटिटयों के संचालन की प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इजाजत ली गई है। और यदि हां तो फिर बोर्ड ने आवादी के मध्य परमीशन क्यों दे दी। आवादी क्षेत्र के नजर अंदाज क्यों किया गया। और फिर इससे उठने वाला धुंआ जनता को नुकशान दायक नहीं है।