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उत्तर प्रदेश: मेडिकल कॉलेज आगरा में 54 वर्षीय पुरुष की टोटल गैस्ट्रेक्टोमी सर्जरी हुई
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में 54 वर्षीय पुरुष ने 1 महीने से पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, भूख कम लगना, भोजन के बाद पेट भरा होना और कभी-कभी उल्टी की की परेशानी का परामर्श गैस्ट्रो सर्जरी विभाग की ओपीडी में लिया।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में 54 वर्षीय पुरुष ने 1 महीने से पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, भूख कम लगना, भोजन के बाद पेट भरा होना और कभी-कभी उल्टी की की परेशानी का परामर्श गैस्ट्रो सर्जरी विभाग की ओपीडी में लिया। सीईसीटी एब्डोमेन, अपर जीआई एंडोस्कोपी के साथ बायोप्सी के मूल्यांकन पर उन्हें पेट के कार्सिनोमा का पता चला। पेट के कार्सिनोमा में पीछे की ओर अग्न्याशय शामिल था। इसलिए सर्जरी से पहले उन्हें कीमोथेरेपी के लिए भेजा गया। रेडियोथैरेपी विभाग की विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर सुरभि गुप्ता के अधीन रेडियोथेरेपी विभाग द्वारा कीमोथेरेपी के 4 चक्र दिए गए। गैस्ट्रोसर्जरी टीम के द्वारा मरीज की टोटल गैस्ट्रेक्टोमी सर्जरी की गई। गैस्ट्रोसर्जरी टीम में डॉ. विक्रम सिंह सोढ़ा (सहायक प्रोफेसर), डॉ. प्रतीक शाह (सहायक प्रोफेसर), डॉ. उत्कर्षा, डॉ. निखिल, डॉ. ऋषभ (रेजिडेंट) और एनेस्थीसिया टीम डॉ. योगिता (एसोसिएट प्रोफेसर) और डॉ. दीपिका चौबे (सहायक प्रोफेसर) रहे। सर्जरी की अवधि 5-6 घंटे रही और सर्जरी में लिम्फ नोड विच्छेदन के साथ रॉक्स एन वाई एसोफैगोजेजुनोस्टॉमी के साथ पूरा पेट निकालना शामिल था। मरीज को ऑपरेशन के 8 दिन पर छुट्टी दे दी गई। इलाज से मरीज और परिजन खुश हैं। इस प्रकार की बड़ी सर्जरी सर्जरी एसएनएमसी आगरा में नियमित रूप से की जा रही हैं। एसएनएमसी आगरा में गैस्ट्रोसर्जरी, रेडियोथेरेपी विभाग की बहु-विषयक टीम द्वारा ग्रासनली, पेट, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय, यकृत, अग्न्याशय, पित्ताशय के कैंसर का इलाज किया जा रहा है। एस एन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर प्रशांत गुप्ता के निरंतर प्रयासों ने इस संस्थान को एम्स, एसजीपीजीआई जैसे अन्य तृतीयक देखभाल केंद्रों के बराबर उत्कृष्ट बना दिया है। सर्जरी विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. प्रशांत लवानिया और यूनिट प्रमुख डॉ. आराधना सिंह ने उपचार की प्रक्रिया के दौरान मार्गदर्शन दिया। लक्षण:- कार्सिनोमा पेट के रोगी में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, वजन कम होना, भूख न लगना, भोजन के बाद पेट भरा होना, उल्टी, एनीमिया के लक्षण होते हैं। निदान के तौर-तरीके एंडोस्कोपी और बायोप्सी, सीईसीटी पेट और छाती होते हैं। जोखिम:- पेट के कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं:- जीईआरडी, आहार (उच्च नमकीन और स्मोक्ड खाद्य पदार्थ, कम फल और सब्जियां), हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण, गैस्ट्रिटिस, धूम्रपान, गैस्ट्रिक पॉलीप्स परिवार के इतिहास। उपचार में शल्य चिकित्सा के बाद कीमोथेरेपी शामिल है। स्थानीय रूप से उन्नत मामलों में प्रीऑपरेटिव कीमोथेरेपी, फिर सर्जरी और उसके बाद पोस्टऑपरेटिव कीमोथेरेपी। रोकथाम:-
खूब फल और सब्जियाँ खायें। अपने द्वारा खाए जाने वाले नमकीन और स्मोक्ड खाद्य पदार्थों की मात्रा कम करें। धूम्रपान बंद करें। मजबूत पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को पेट के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट कराना चाहिए।
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