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National Education Day: शिक्षा दिवस के मौक़े पर जाने इसका इतिहास और अहमियत, क्यों हैं खाश ?
शिक्षा दिवस के मौक़े पर जाने इसका इतिहास और अहमियत, क्यों हैं खाश ? - Photo by : Social Media
संक्षेप
इमरान: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म दिवस के मौक़े पर प्रत्येक वर्ष ग्यारह नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। डॉ० अबुल कलाम आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे, जिन्होंने 15 अगस्त, 1947 से 2 फरवरी, 1958 तक देश के शिक्षा मंत्री के रूप में सेवा की।
विस्तार
इमरान: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म दिवस के मौक़े पर प्रत्येक वर्ष ग्यारह नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। डॉ० अबुल कलाम आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे, जिन्होंने 15 अगस्त, 1947 से 2 फरवरी, 1958 तक देश के शिक्षा मंत्री के रूप में सेवा की। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ग्यारह सितंबर, 2008 को इस दिवस को पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की ऐलान की थी। सरकार ने विशाल आबादी की क्षमता का उपयोग करने के लक्ष्य से इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में समर्पित करने का फैसला लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक आधिकारिक बुलेटिन में जिक्र किया गया है कि, इसकी 65 फीसदी जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की है। यह सुशिक्षित कौम के निर्माण की एक बड़ी मुमकिन प्रदान करता है। इसलिए भारत को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए युवाओं का सशक्तीकरण अहम हैं। इस तरह सरकार मजबूत और प्रभावपूर्ण शिक्षा मूलभूत ढांचे के निर्माण पर खाश जोर देकर देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कमिटेड है। शिक्षा सामाजिक मजबूती और राष्ट्रीय उत्थान की आधारशिला है। शिक्षा दिवस का महत्व इसकी परिवर्तन शक्ति को जानने में निहित है। यह नई सोच पर विचार करने का दिवस है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, जो एक नए समस्त शैक्षिक नमूना की वकालत करती है। आज की गतिशील विश्व में, शिक्षा सिर्फ व्यक्तिगत पूर्ति का रास्ता नहीं है। यह आर्थिक समृद्धि का आधारशिला है। हमें शिक्षा, समावेशिता और लगातार सीखने के मूल्यों का सपोर्ट करना चाहिए।
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