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मध्य प्रदेश: धार रोड जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्था, काग़ज़ी इलाज से जूझते गरीब मरीज
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संक्षेप
मध्य प्रदेश: धार रोड जिला अस्पताल की शर्मनाक हकीकत काग़ज़, लाइन और लापरवाही के भरोसे गरीबों का इलाज धार रोड स्थित जिला अस्पताल में आज भी इलाज नहीं, लाइन और काग़ज़ की बीमारी दी जा रही है।
विस्तार
मध्य प्रदेश: धार रोड जिला अस्पताल की शर्मनाक हकीकत काग़ज़, लाइन और लापरवाही के भरोसे गरीबों का इलाज धार रोड स्थित जिला अस्पताल में आज भी इलाज नहीं, लाइन और काग़ज़ की बीमारी दी जा रही है। ताज़ा मामला सामने आया है, जहाँ मरीज की ओपीडी और ब्लड रिपोर्ट पूरी तरह हाथ से लिखी गई है। रिपोर्ट में न तो डिजिटल रिकॉर्ड है, न मोबाइल पर रिपोर्ट भेजने की सुविधा, न ही किसी तरह की ऑनलाइन एंट्री। ब्लड रिपोर्ट में गंभीर बातें साफ़ दिखती हैं — डब्ल्यूबीसी काउंट बढ़ा हुआ, संक्रमण के संकेत, फिर भी मरीज को सिस्टम के भरोसे छोड़ दिया गया। सब कुछ काग़ज़ पर, सब कुछ मैन्युअल, और गलती हुई तो जिम्मेदार कोई नहीं। आज जब देश डिजिटल होने की बात करता है, उसी देश के जिला अस्पताल में अब भी हाथ से लिखी रिपोर्टें थमाई जा रही हैं। मरीज को पहले ओपीडी की लाइन, फिर जांच की लाइन, फिर रिपोर्ट की लाइन, और फिर डॉक्टर की लाइन — बीमारी से ज़्यादा लाइन थका रही है। जब सवाल किया गया तो जवाब वही पुराना — नियम यही है, ऊपर से आदेश है। सवाल यह है गरीब का इलाज काग़ज़ के भरोसे होगा? क्या हाथ से लिखी रिपोर्ट में गलती की जिम्मेदारी कोई लेगा? क्या बीमार आदमी की हालत से ज़्यादा सिस्टम ज़रूरी है? यह सिर्फ़ एक मरीज की कहानी नहीं, यह धार रोड जिला अस्पताल की रोज़ की सच्चाई है। जब तक अस्पतालों में डिजिटल व्यवस्था, ऑनलाइन रिपोर्ट, और मरीज-केंद्रित सिस्टम नहीं आएगा, तब तक गरीब इलाज के लिए नहीं, लाइन में खड़े रहने के लिए मजबूर रहेगा।
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