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AQI Level Delhi: दिल्ली में हवा फिर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आनंद विहार में AQI 371, अन्य इलाकों का हाल भी चिंताजनक

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दिल्ली  Published by: Kunal , Date: 03/11/2025 03:33:37 pm Share:
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  • 03/11/2025 03:33:37 pm
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संक्षेप

दिल्ली: राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर सोमवार को फिर से व्यापक रूप से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुँच गया है। Central Pollution Control Board (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार सबसे प्रदूषित इलाके आनंद विहार में AQI 371 दर्ज हुआ है

विस्तार

दिल्ली: राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर सोमवार को फिर से व्यापक रूप से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुँच गया है। Central Pollution Control Board (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार सबसे प्रदूषित इलाके आनंद विहार में AQI 371 दर्ज हुआ है, जो स्वास्थ्य‑सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी संकेत है।  अन्य इलाकों की स्थिति लोधी रोड में AQI 312 — ‘बहुत खराब’ श्रेणी में।  आईटीओ के आसपास AQI 160 — ‘मध्यम’ श्रेणी में आ रहा है, कुछ राहत का संकेत।  एनसीआर क्षेत्र में भी हालात चिंताजनक: गुरुग्राम में 304, गाजियाबाद 334, नोएडा में  09 AQI दर्ज हुआ।  कारण एवं प्रभाव मौसम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों का कहना है कि कम हवा‑गति और सुबह की कोहरे‑धुंध ने प्रदूषकों के विस्थापन को रोक दिया है। इसके परिणामस्वरूप हवा में स्मॉग की मोटी परत ने दृश्यता कम कर दी है और सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई है।  स्थानीय लोगों ने बताया कि “आँखों में जलन हो रही है, सांस लेना भारी लग रहा है” जैसे लक्षण बढ़े हैं। 


कार्रवाई एवं सुझावदिल्ली सरकार ने मुख्य सड़कों पर ट्रक‑माउंटेड पानी स्प्रिंकलर तैनात किए हैं ताकि धूल‑प्रदूषण को थोड़ी‑बहुत नियंत्रित किया जा सके।  नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे सुबह‑सुबह बाहरी गतिविधियों से बचें, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों तथा सांस‑संस्थान से जुड़े रोगियों को। वाहन साझा करने (carpooling), सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग, निर्माण‑धूल को नियंत्रित करना, खुली जगहों पर धूल न उड़ने देना आदि उपाय अपनाने की अपील की गई है। दिल्ली‑एनसीआर में वायु गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति न सिर्फ अस्वस्थ है बल्कि चेतावनी‑स्तर पर पहुंच चुकी है। जबकि कुछ इलाकों में हल्की राहत के संकेत हैं, अधिकांश मॉनिटरिंग स्टेशन अब भी ‘बहुत खराब’ या ‘सख़्त’ श्रेणियों में हैं। यह मौसम‑प्रेरित घटना है, लेकिन इसके निरंतर बने रहने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है। ऐसे में सरकार, प्रशासन और नागरिकों को मिलकर सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि आने वाले दिनों में प्रदूषण‑प्रकोप से बचा जा सके।