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मध्य प्रदेश के आगर मालवा में खुलेआम चल रहा सट्टे का कारोबार, मेहनत की कमाई सट्टे में गवा रहे कई युवा
आगर मालवा में खुलेआम चल रहा सट्टे का कारोबार - Photo by : Social Media
संक्षेप
मध्य प्रदेश के आगर मालवा डोंगरगांव में सट्टे का कारोबार खुलेआम चल रहा है। सट्टे के नए-नए खाईवाल सक्रिय हो गए हैं। कम पैसों से अधिक कमाने का लालच देकर युवा अपनी मेहनत की कमाई को सट्टे में गवा रहे हैं सब पुलिस के संरक्षण में चल रहा है या पुलिस की जानकारी के बिना चल रहा है कहना मुश्किल है लेकिन दोनों ही स्थिति में पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
विस्तार
मध्य प्रदेश के आगर मालवा डोंगरगांव में सट्टे का कारोबार खुलेआम चल रहा है। सट्टे के नए-नए खाईवाल सक्रिय हो गए हैं। कम पैसों से अधिक कमाने का लालच देकर युवा अपनी मेहनत की कमाई को सट्टे में गवा रहे हैं सब पुलिस के संरक्षण में चल रहा है या पुलिस की जानकारी के बिना चल रहा है कहना मुश्किल है लेकिन दोनों ही स्थिति में पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है। ऐसे में नागरिक अब तो सटोरियों और उनके खाईवालों को पकड़कर कार्यवाही की जाने की आवश्यकता है ताकि सट्टे के अवैध कारोबार पर अंकुश लग सके और यदि सट्टा पुलिस की जानकारी के बगैर चल रहा है, तो पुलिस को अपनी कार्य क्षमता और कार्यप्रणाली पर आत्मचिंतन करना चाहिए। इस अवैध कारोबार में खाईवाल तो धनपति होते जाते हैं, किंतु बमुश्किल दो वक्त की रोटी कमाने वाला गरीब मजदूर व युवा सटोरियों के एक के आठ के लालच में आकर अपनी मेहनत की कमाई गवा बैठता है, जिसमें कई बार अपराध को भी जन्म दे देता है। शायद यही कारण है कि, छोटे से छोटे मोहल्ले में भी बड़ी संख्या में लोग सट्टे का जाल में फंसते जा रहे हैं। इससे और किसी को फायदा हो या नहीं, लेकिन इस अवैध कारोबार से जुड़े खाईवाल और उन्हें संरक्षण देने वाले के जरूर वारे न्यारे हो रहे हैं। नगर में कई स्थान ऐसे हैं। जहां यह काला कारोबार खुलेआम चल रहा है, जिसमें मुख्य रूप से युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले रखा है। आलम यह है कि खुलेआम चल रहे हैं इस अवैध कारोबार को लेकर कोई जिम्मेदार कार्रवाई तक करने को तैयार नहीं है। ऐसे में यह कारोबार ना सिर्फ लगातार बढ़ता जा रहा है। बल्कि माया रूपी चमक को देखकर इसकी चपेट में आने वाले की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे तो इसके प्रति ज्यादातर युवा लोग ही आकर्षित होते हैं, लेकिन सैकड़ों ऐसे वरिष्ठ लोग भी शामिल हैं, जिन्हें इनकी लत लग चुकी है। ऐसे में वह इस बार ना सही अगले बार के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा इसमें बर्बाद कर रहे हैं, जबकि दूसरी और उनके परिवार एक-एक पैसा को मोहताज होकर दुख जेल रहे छूटभैयों पर कार्रवाई खाईवाल तक नहीं पहुंच पाती कार्रवाई। स्थानी पुलिस पर जब उच्चाधिकारियों का दबाव पड़ता है तब पुलिस दो चार छोटा-मोटा केस बना भी देती है और ऐसे ही केस स्वयं साबित करते हैं कि, डोंगरगांव नगर में सट्टा बेखौफ चल रहा है। यह विचारणीय तथ्य यह है कि, जब पुलिस सट्टा पकड़ने के नाम पर छोटे-मोटे केस बनाती हैं, तो वह खाईवाल तक क्यों नहीं पहुंच पाती कारण स्पष्ट है। खाईवाल कारोबारियों के विरुद्ध पुलिस कार्यवाही शून्य रहती है और कार्रवाई के नाम पर गरीबों की बलि चढ़ा दी जाती हैं। सट्टा कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में गरीब मजदूर एवं युवाओं को मुर्ख बनाया जा रहा है।
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