Contact for Advertisement 9650503773


हिमाचल प्रदेश राज्यपाल ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' विषय पर आयोजित किया सेमिनार 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर आयोजित सेमिनार

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर आयोजित सेमिनार - Photo by : Social Media

हिमाचल प्रदेश   Published by: Yudhisther Rana, Date: 23/09/2022 06:29:00 pm Share:
  • हिमाचल प्रदेश
  • Published by: Yudhisther Rana,
  • Date:
  • 23/09/2022 06:29:00 pm
Share:

संक्षेप

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि देश के विकास में मातृभाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि भारत विश्व गुरू बनना चाहता है तो हमें अपनी मातृभाषा में कार्य करना होगा। 

विस्तार

हिमाचल प्रदेश राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि देश के विकास में मातृभाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि भारत विश्व गुरू बनना चाहता है तो हमें अपनी मातृभाषा में कार्य करना होगा। 
राज्यपाल ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-हिन्दी और भारतीय भाषाओं के विकास के लिए एक वरदान’ विषय पर हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षण मंडल के प्रचार विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कांगड़ा जिला के धर्मशाला में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारी शिक्षा व्यवस्था कोे उपनिवेशवाद से छुटकारा दिलाने का पहला प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस नीति से युवा रोजगार प्रदाता बनेंगे न कि रोजगार चाहने वाले। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें स्व अक्षर का बोध करवाती है जिसका तात्पर्य है कि हमारा राष्ट्र और हमारी संस्कृति एवं हमारा इतिहास, जो कुछ है वह मेरा अपना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह जागृति लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि यदि स्व जागृत होता है तो कोई भी हमें विश्व गुरू बनने से नहींे रोक सकता है। 

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति हमें केवल नौकरी ढूंढने वाला बनाती है न कि रोजगार प्रदाता। यह युवाओं को अपनी मातृभूमि से नहीं जोड़ पाती जबकि इसके विपरित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें सही राह पर चलने की दिशा दिखाती है। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास एवं संस्कृति रही है। राजनीतिक आजादी प्राप्त करने के उपरान्त विश्व की हमसे विशेष अपेक्षाएं थी, परन्तु हमने दूसरे देशों की ओर देखना आरम्भ कर दिया। उन्होंने कहा कि हम विश्व को दिशा दिखा सकते थे लेकिन हमने अपना गौरवशाली इतिहास भूल चुके थे। उन्होंने कहा कि इसका कारण अंग्रेजों से प्रभावित होना था। उन्होंने कहा कि कई वर्षों के उपरान्त नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें सही राह दिखाई है।

भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने कहा कि अंग्रेजों ने 1835 में देश की शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करने का षड़यंत्र रचा जबकि उस समय देश की साक्षरता दर लगभग शत-प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा भी अंग्रेजों के ही एक सर्वेक्षण में सामने आया था। उन्होंने कहा कि अब इसके 185 वर्षों के उपरांत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है जो कि वास्तव में भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों को रेखांकित करती है। यह हमें समान अधिकार प्रदान करती है और क्षेत्रीय भाषाओं को भी मान्यता देती है। उन्होंने कहा कि भारत में बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा और बोली राष्ट्रीय भाषा थी, परन्तु बिना किसी संवैधानिक संशोधन के अंग्रेजी ने अभी तक अपना प्रभुत्व बनाए रखा है। 

उन्होंने कहा कि उच्चतम सकल घरेलू उत्पाद वाले सभी विकसित देशों ने अपनी भाषा को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें ऐसे अवसर दिए हैं जिनका हम सभी को लाभ उठाने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने राज्यपाल को सम्मानित करते हुए उनका स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्विद्यालय ऐसा प्रथम विश्वविद्यालय है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दिशा-निर्देश तैयार किए और इस नीति को लागू किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति सबसे पहले अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीय संस्कृति से जुड़ने का ठोस प्रयास किया गया है और पहली बार अपनी भाषा को महत्व देने का प्रयास हुआ है।
भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष प्रो. कुलभूषण चंदेल, सह-संगठन मंत्री शंकरानंद, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, अकादमी प्रो. प्रदीप कुमार, जिला प्रशासन के अधिकारी, प्राचार्य, शोधार्थी, विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।