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मध्य प्रदेश: बोरवा आंगनवाड़ी में बच्चों के अस्वस्थ होने पर कड़ी कार्रवाई

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मध्य प्रदेश  Published by: Mujaffar Khan Shaikh , Date: 17/11/2025 12:22:11 pm Share:
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  • 17/11/2025 12:22:11 pm
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संक्षेप

मध्य प्रदेश: थांदला विकासखंड के ग्राम बोरवा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में भोजन करने के उपरांत अस्वस्थ हुए बच्चों में से 5 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कलेक्टर नेहा मीना ने पहुंचकर बच्चों की कुशलक्षेम

विस्तार

मध्य प्रदेश: थांदला विकासखंड के ग्राम बोरवा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में भोजन करने के उपरांत अस्वस्थ हुए बच्चों में से 5 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कलेक्टर नेहा मीना ने पहुंचकर बच्चों की कुशलक्षेम जानी और उनके परिजनों से मिलकर हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ. बघेल को निर्देशित किया कि सभी बच्चों का उपचार अत्यंत तत्परता से किया जाए।
 साथ ही बच्चों के भोजन के बाद अस्वस्थ होने की जांच के दौरान पाया गया कि आंगनवाड़ी केंद्र बोरवा भूरिया फलिया में कार्यरत आंगनवाड़ी सहायिका श्रीमती कविता पति जेनू भूरिया समूह द्वारा निर्मित नाश्ता एवं भोजन के वितरण में गंभीर लापरवाही की दोषी पाई गई। उक्त लापरवाही के कारण बच्चों में उल्टी-दस्त की स्थिति उत्पन्न हुई। घटना की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशानुसार सीडीपीओ थांदला द्वारा श्रीमती कविता की सेवाएँ तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं तथा उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है।

इसी प्रकार, सरस्वती महिला बचत समूह बोरवा द्वारा भोजन निर्माण एवं वितरण में गंभीर लापरवाही पाए जाने पर समूह के अध्यक्ष पिददु पति अखिलेश एवं सचिव आसु पति लारजी के स्तर पर की गई लापरवाही को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग, थांदला द्वारा समूह का अनुबंध तत्काल प्रभाव से समाप्त किया गया है।कलेक्टर ने जिले में संचालित मध्यान्ह भोजन एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्यरत सभी स्वयं सहायता समूहों की व्यवस्थित सूची तैयार करने, समूहों द्वारा भोजन वितरण की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से अंकित करने, तथा ब्लॉक स्तर पर सभी समूहों की बैठक आयोजित कर भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के कड़े निर्देश दिए जाने को कहा। कलेक्टर ने यह भी निर्देशित किया कि एक समूह को नियमानुसार जितने विद्यालय एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन उपलब्ध कराना संभव हो, उतनी ही अनुमति दी जाए। अतिरिक्त भार होने की स्थिति में नए समूहों के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जाए, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की गुणवत्ता सुनिश्चित रहे।