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गुजरात: डांग के आदिवासी कलाकारों ने जमशेदपुर ‘संवाद’ में दिखाई शक्ति
- Photo by : social media
संक्षेप
गुजरात: आदिवासी कलाकारों ने अपनी अनूठी पहचान स्थापित की है। इस साल 'संवाद' के मंच पर डांगी रैपर टी.आर. कामडी और उनके साथी कलाकार मोतीराम
विस्तार
गुजरात: आदिवासी कलाकारों ने अपनी अनूठी पहचान स्थापित की है। इस साल 'संवाद' के मंच पर डांगी रैपर टी.आर. कामडी और उनके साथी कलाकार मोतीराम ठाकरे (पावरी और थाली वादक) ने पूरे भारत का ध्यान आकर्षित किया।
'संवाद' भारत के विभिन्न आदिवासी समुदायों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सशक्तिकरण का मंच है, जिसमें 'अखरा' (सामुदायिक चर्चा), ट्राइबल हैंडीक्राफ्ट, व्यंजन, कला और देश भर के नृत्य और संगीत शामिल हैं।'रिदम ऑफ द अर्थ' में डांग की जोरदार प्रस्तुति टाटा स्टील के ट्राइबल म्यूजिक बैंड 'रिदम ऑफ द अर्थ' में गुजरात, लद्दाख, असम, सिक्किम, ओडिशा, केरल, झारखंड सहित 12 से अधिक आदिवासी जनजातियों के कलाकार शामिल हैं। इस प्रतिष्ठित बैंड में डांग जिले के सरवर गांव के टी.आर.
कामडी और कोटबा गांव के मोतीराम ठाकरे ने डांग का गौरव बढ़ाया।टी.आर. कामडी ने ढाक वादन के साथ अपने खास अंदाज में 'डांगी राज' गीत प्रस्तुत किया, जिसमें डांग के वीर डांगी राजाओं की गाथा और वीरता को संगीतमय तरीके से दर्शाया गया। आमी आदिवासी' गीत का एल्बम लॉन्चइस कार्यक्रम की खासियत में डांगी कलाकारों द्वारा रचित 'आमी आदिवासी' गीत का एल्बम लॉन्च किया गया। इस गीत में मोतीराम ठाकरे के पावरी के सुरों के साथ डांग के पवित्र देवस्थानों – कन्सेरा, कवाडिया, सेंदवड़, डुंगर देव, वाघ देव, नागदेव, और हीरवा देव – का उल्लेख करके डांग की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान प्रदर्शित की गई है। इस एल्बम का लॉन्च होना डांग और पूरे गुजरात के आदिवासी कलाकारों के लिए गर्व का क्षण है।
इस उपलब्धि पर कलाकारों ने कहा कि आदिवासी संगीत और वाद्यों के संरक्षण और संवर्धन के लिए तथा युवाओं को हमारी समृद्ध संगीत संस्कृति की ओर मोड़ने के लिए इस तरह के प्रयास जारी रखना समय की मांग है।गुजरात के इन कलाकारों ने राष्ट्रीय मंच पर डांगी संस्कृति की एक अनूठी छाप छोड़कर राज्य और समुदाय का नाम रोशन किया है।