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Holi 2023: कृष्ण के धाम की होली क्यों होती है खास ? जाने इस होली पर पूजन और रंग खलने का सही मुहूर्त
कृष्ण के धाम की होली क्यों होती है खास - Photo by : Social Media
संक्षेप
कृष्ण के धाम में जाकर होली खेलने का सपना सभी देखते है। श्रद्धालु होली के नजदीक आते ही कृष्ण के धाम की ओर रुख कर लेते है और फिर वहां रूककर कई- कई दिनों तक होली का आनंद लेते है।
विस्तार
होली के त्योहार की शुरुआत लगभग एक महीने पहले से ही मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, नंदगांव और बरसाने में हो जाती है। पूरी की पूरी कृष्ण की नगरी हर दिन अलग अलग चीज़ों से होली खेलती है। कभी फूलों की, कभी लड्डूओं की, कभी लठमार होली तो कभी रंग और गुलाल की होली। कृष्ण के धाम में जाकर होली खेलने का सपना सभी देखते है। श्रद्धालु होली के नजदीक आते ही कृष्ण के धाम की ओर रुख कर लेते है और फिर वहां रूककर कई- कई दिनों तक होली का आनंद लेते है। होली महज रंगों का त्यौहार नहीं है। होली से हिन्दुओं की भावनाएं और भगवान के प्रति श्रद्धा जुडी हुई है। इसके पीछे पौराणिक कथाएं है। विष्णु भक्त प्रह्लाद को जब हिरण्यकशिपु की बहन होलिका जान से मारने के लिए अग्नि में बैठ गई थी तो वरदान होने के बाद भी वह जलकर भस्म हो गई और विष्णु भक्त प्रह्लाद को खरोंच तक नहीं आई। उसके बाद से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का त्योहार मनाया जाने लगा और होली से एक रात पहले लोग होलिका दहन करने लगे जिसमे वो अपने अंदर की बुराई को जलाते है।