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Choti Diwali 2025: छोटी दिवाली पर उत्साह, घर-घर जले दीप

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दिल्ली  Published by: Kunal , Date: 19/10/2025 12:00:35 pm Share:
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  • 19/10/2025 12:00:35 pm
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संक्षेप

दिल्ली: छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, इस वर्ष 19 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है — कार्तिक मास कृष्ण‑पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अनुरूप।  

विस्तार

दिल्ली: छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, इस वर्ष 19 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है — कार्तिक मास कृष्ण‑पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अनुरूप।  यह त्योहार इसलिए खास है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नामक असुर का वध करके कृष्ण ने बुराई पर अच्छाई की जीत दर्ज की थी यही इस दिन की आध्यात्मिक मूलभूत भावना है। महत्व इस दिन अभ्यंग स्नान किया जाता है — तेल और हर्बल पेस्ट से शरीर को शुद्ध किया जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो।  घरों को दीपों से जगमगाया जाता है, रंगोली बनाई जाती है और मुख्य द्वार पर उजाले से स्वागत होता है। अच्छाई के विजय‑संदेश के साथ‑साथ अपने अंदर के अँधेरे (दुर्भावनाएँ, क्रोध, लोभ) को उजागर करना और उनसे मुक्ति पाने का संकल्प लेना भी इस दिन का उद्देश्य है। पुजा‑विधि और परंपराएँ सुबह जल्दी उठकर अभ्यंग स्नान करना शुभ माना जाता है।  शाम को दीयों‑मशालों से घर सजाना, प्रविष्ट द्वार और आँगन को उजालों से भरना। विविध भारत‑विभागों में अलग‑अलग रीति‑रिवाज देखने को मिलते हैं: जैसे कि कुछ क्षेत्रों में काढ़ा हुआ बौर (करेत) को अपने पैरों तले कुचलना जो बुराई पर विजय का प्रतीक है। 


सामाजिक एवं पारिवारिक आयाम छोटी दिवाली न सिर्फ धार्मिक उत्सव है बल्कि घर‑परिवार को एक साथ जोड़ने, खुशी बाँटने, परिस्थितियों पर आनंद लेने का मौका भी देती है। बच्चों‑बुज़ुर्ग मिलकर रंगोली बनाते हैं, दीए लगाते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और आने‑जाने वालों को शुभकामनाएँ देते हैं। संक्षिप्त सुझाव यदि संभव हो तो तेल या घी से दीया जलाएं — इससे उजाले का भाव और भी गहरा होता है। घर‑आँगन को साफ‑सुथरा रखें, क्योंकि यह दिन स्वच्छता, जागरूकता और सकारात्मकता का दिन भी है। बाहर‑फटाखे या हार्दिक बजने‑लागनेवाले खेल‑कूद को नियंत्रित माहौल में करें, जिससे आनंद के साथ‑साथ सुरक्षा और पर्यावरण का ख्याल भी रखा जा सके। जरूरतमंदों के लिए कुछ करना संभव हो तो साझा करें — उजाले को बाँटना भी इस दिन का एक सुंदर भाव है। छोटी दिवाली हमें याद दिलाती है कि चाहे कितनी भी अँधेरा हो, एक छोटी सी आग (दीया) अज्ञान को उजाले में बदल सकती है,और यही प्रकाश‑पथ हमें अगली बड़ी दिवाली की ओर ले जाता है।