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दिल्ली: मदनगीर से उठे राष्ट्रीय सितारे कुणाल रॉय का भारत टीम में चयन, गोल्ड फॉर इंडिया” का लक्ष्य

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दिल्ली  Published by: Kunal , Date: 01/11/2025 06:20:18 pm Share:
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  • 01/11/2025 06:20:18 pm
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संक्षेप

दिल्ली: मदनगीर क्षेत्र के रहने वाले कुनाल रॉय ने देश और राजधानी दोनों का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है। वर्तमान में वे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) वडोदरा में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं।

विस्तार

दिल्ली: मदनगीर क्षेत्र के रहने वाले कुनाल रॉय ने देश और राजधानी दोनों का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है। वर्तमान में वे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) वडोदरा में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। खेल जगत से आई बड़ी खबर के अनुसार, कुनाल का चयन भारतीय राष्ट्रीय टीम में हुआ है, जो अंतरराष्ट्रीय सेस्टोबॉल चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। यह प्रतियोगिता दिसंबर 2025 में बैंकॉक (थाईलैंड) में आयोजित की जाएगी। दिल्ली से चयनित होने वाले एकमात्र खिलाड़ी के रूप में यह उपलब्धि पूरे दिल्ली और विशेष रूप से मदनगीर क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है।

कुनाल का सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने अपनी खेल यात्रा की शुरुआत मदनगीर की गलियों से की थी। बचपन से ही उन्हें खेलों का गहरा शौक था। पाँचवीं कक्षा से उन्होंने खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे उन्होंने कबड्डी और सेस्टोबॉल दोनों खेलों में अपना लोहा मनवाया। समय के साथ उनके प्रदर्शन ने उन्हें दिल्ली राज्य की ओर से कई जूनियर और सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जगह दिलाई। उनके शानदार प्रदर्शन और अनुशासन ने कोचों और चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा, जिसके बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया। कुनाल ने हाल ही में श्रीलंका में आयोजित दक्षिण एशियाई सेस्टोबॉल चैंपियनशिप 2025 में भारतीय टीम को रजत पदक (सिल्वर मेडल) दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने शांत रहकर बेहतरीन प्रदर्शन किया और टीम को जीत के करीब पहुँचाया। उनके प्रदर्शन ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे भारत के युवाओं को प्रेरित किया है।

कुनाल के कोच श्री शेखर कुमार (कबड्डी) और कोच आरिफ (सेस्टोबॉल) ने उनके खेल करियर को नई दिशा दी। उन्होंने कुनाल को सिखाया कि अनुशासन, मेहनत और आत्मविश्वास ही सफलता की असली कुंजी हैं। कुनाल हमेशा नियमित रूप से अभ्यास करते थे और शायद ही कोई ट्रेनिंग सत्र उन्होंने छोड़ा हो। स्थानीय और जिला स्तर से लेकर राज्य, राष्ट्रीय और अब अंतरराष्ट्रीय मंच तक उनका सफर उनकी लगन और समर्पण का प्रमाण है। हालाँकि यह यात्रा उतनी सरल नहीं थी। शुरुआती दौर में उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा — सीमित खेल सुविधाएँ, आर्थिक कठिनाइयाँ और दूसरे राज्यों में जाकर छोटे टूर्नामेंट खेलना उनके लिए सामान्य बात थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। आज उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजन (स्पॉन्सरशिप) भी प्राप्त हो रहा है।

मदनगीर और उनके परिवार में इस सफलता से अपार खुशी का माहौल है। जब वे भारतीय जर्सी में खेलते हैं, तो उनके परिवार और क्षेत्र के लोग गर्व से भर जाते हैं। उनके लिए कुनाल केवल एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि प्रेरणा और गौरव का प्रतीक हैं। कुनाल का अगला लक्ष्य है कि वे भारत के लिए स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) जीतें। वे कहते हैं, “अब मेरा मिशन गोल्ड फॉर इंडिया है।” उन्होंने वादा किया है कि वे बैंकॉक से भारत के लिए गोल्ड लेकर लौटेंगे और इसे अपने देश को समर्पित करेंगे। उनकी विनम्रता, मेहनत और समर्पण हर युवा खिलाड़ी के लिए एक प्रेरक उदाहरण हैं। मदनगीर की गलियों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक, कुनाल रॉय ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई सपना असंभव नहीं। आज पूरा देश उन पर गर्व कर रहा है — हमारे दिल्ली के सपूत, कुनाल रॉय, सच में भारत का गौरव हैं।