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गुजरात: सीमाएं स्थायी नहीं होतीं, सिंध के सांस्कृतिक रिश्ते आज भी भारत से घनिष्ठ

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गुजरात  Published by: Juneja Tofikaehammad Ishmail , Date: 24/11/2025 05:17:04 pm Share:
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  • Published by: Juneja Tofikaehammad Ishmail ,
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  • 24/11/2025 05:17:04 pm
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संक्षेप

गुजरात:  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह महत्वपूर्ण बयान दिया कि भले ही सिंध अभी भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसके भारत के साथ सांस्कृतिक और स

विस्तार

गुजरात:  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह महत्वपूर्ण बयान दिया कि भले ही सिंध अभी भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसके भारत के साथ सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्ते आज भी उतने ही घनिष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि सिंध क्षेत्र, जो 1947 के विभाजन के समय पाकिस्तान में चला गया था, भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है और भविष्य में सीमाएं बदल सकती हैं। उनका बयान ‘सीमाएं स्थायी नहीं होतीं’ के संदर्भ में था, जहां राजनाथ सिंह ने कहा कि कल को सिंध फिर से भारत का हिस्सा बन सकता है, क्योंकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरें राजनीतिक सीमाओं से कहीं अधिक स्थायी होती हैं।रक्षा मंत्री ने दिल्ली में सिंधी समाज के एक बड़े कार्यक्रम में एल.के. आडवाणी के संदर्भ को याद किया और कहा कि सिंध की धरती न सही, लेकिन सिंध के लोग, उनकी संस्कृति और सिंधी भाषा हमेशा भारत का हिस्सा रहेंगी। साथ ही राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि सीमाएं स्थायी नहीं होतीं, और भारत की एकता व अखंडता के लिए अगर आवश्यकता पड़ी तो देश की सीमाएं बदलना भी मुमकिन है। 

उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक विभाजन के दौरान सिंध के भारत से अलग होने और आज भी सिंधियों के मन में इसकी गहरी पीड़ा का जिक्र किया और कहा कि सिंध का इंडस नदी भारतीयों के लिए उतना ही पवित्र है, जितना मुस्लिम समाज के लिए आब-ए-ज़मज़म।यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच स्थितियां तनावपूर्ण हैं, लेकिन राजनाथ सिंह का यह वक्तव्य देश के नागरिकों के मन में एक अलग उम्मीद जगाने वाला है कि शायद कभी फिर सिंध भारत के नक्शे का हिस्सा बन सकता है। इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से रक्षा मंत्री का बयान न सिर्फ सिंधी समाज को, बल्कि पूरे देश को अपनी जड़ों और सभ्यतागत वैभव की याद दिलाता है। 


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