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गुजरात: मुंद्रा पोर्ट पर ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़ी गई, सीड‑सीलिंग प्रक्रिया पर गंभीर सवाल
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संक्षेप
गुजरात: कच्छ में ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़े जाने का सिलसिला अभी भी जारी है, जिसमें तस्कर अब टायर और बटलेगर वाहनों के आयात-निर्यात का रास्ता अपना रहे हैं। बटलेगरों द्वारा विदेश से लाए ग
विस्तार
गुजरात: कच्छ में ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़े जाने का सिलसिला अभी भी जारी है, जिसमें तस्कर अब टायर और बटलेगर वाहनों के आयात-निर्यात का रास्ता अपना रहे हैं। बटलेगरों द्वारा विदेश से लाए गए कंटेनरों को ट्रेन के माध्यम से बाहर भेजने से पहले ही कस्टम और पुलिस ने स्टेट मॉनिटरिंग सेल (SMC) के साथ मिलकर एक बड़ी खेप पकड़ी, जिसकी जाँच जारी है। सूत्रों के अनुसार, विदेशी मालवाहक ट्रेनों में सीलबंद कंटेनरों में ड्रग्स छिपाकर लाया गया था। यह ड्रग्स पहले भी जब्त किया गया है, लेकिन अब यह खुलासा हुआ है कि इसे मालवाहक ट्रेनों का उपयोग करके पंजाब और अन्य राज्यों में भेजा जा रहा था। कार्रवाई और संदेह रेलवे रैग्स सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुंद्रा पोर्ट पर पंजाब से आया एक कंटेनर पड़ा था, जिसमें मौजूद विदेशी ड्रग्स के आधार पर पोलिस ने आधी रात को एक कंटेनर को रोका। कस्टम की अनुमति के बिना कंटेनर को खोलकर जाँच करने पर उसमें मादक पदार्थों के पैकेट मिले। इस कंटेनर में छुपाकर लाए गए ड्रग्स का उपयोग कुछ वाहनों में किए जाने की आशंका थी, जो बाद में स्पष्ट हुआ। पुलिस ने इसी कंटेनर से जुड़े एक दूसरे कंटेनर को भी खोलकर जाँच की और उसमें से भी ड्रग्स की खेप जब्त की, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमत करोड़ों रुपये आँकी गई है। गंभीर प्रश् मुंद्रा में हुई इस कार्रवाई ने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। कस्टम द्वारा मुंद्रा पोर्ट पर रक्तचंदन, यांत्रिक/इलेक्ट्रॉनिक पटाखे और बायोडिज़ल जैसे प्रतिबंधित या मिस-डिक्लेरेशन वाले सामानों पर सख्ती से कार्रवाई की जाती है, लेकिन ड्रग्स जैसे विदेशी नुकसानदेह पदार्थों को देश में प्रवेश करने से रोकने में कस्टम की स्कैनिंग व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं। सूत्रों के मुताबिक, मुंद्रा में चल रहे "सीड सीलिंग" के दौरान, आईसीडी (ICD) सीलिंग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि क्या सील किया गया है और कागज़ात में क्या दर्शाया गया है। यदि यह प्रक्रिया ठीक से नहीं की गई, तो यह सीड सीलिंग पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है। यह भी सवाल है कि कस्टम कमिश्नर और उनके अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह ड्रग्स इतने बड़े स्तर पर कैसे प्रवेश कर सका। स्थानीय पुलिस और अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
यह भी सामने आया है कि ज़िले में बटलेगर अब ड्रग्स को खुलेआम बेच रहे हैं, जहाँ नियमित ड्रग्स उपयोगकर्ताओं का दावा है कि वे ₹100 में ड्रग्स खरीदकर अपने घर या दुकान पर 'स्विगी' या 'ज़ोमैटो' की तरह डिलीवरी ले सकते हैं। इस बड़े संगठित अपराध को पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत के बिना रोक पाना असंभव है, इसलिए 'ऊपर' से हस्तक्षेप और जाँच का आह्वान किया गया है।
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