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हरियाणा: अधिगृहित जमीन पर 10 साल से खेती, अफसरों की मिलीभगत का आरोप
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संक्षेप
हरियाणा: नारनौल में लोक निर्माण विभाग के स्थानीय बड़े अधिकारियों की मिलीभगत का एक बड़ा खेल सामने आया है। यहां के नांगल चौधरी निजामपुर टी पॉइंट पर सैनी धर्म कांटा के नजदीक
विस्तार
हरियाणा: नारनौल में लोक निर्माण विभाग के स्थानीय बड़े अधिकारियों की मिलीभगत का एक बड़ा खेल सामने आया है। यहां के नांगल चौधरी निजामपुर टी पॉइंट पर सैनी धर्म कांटा के नजदीक करीब ढाई तीन एकड़ जो विभाग द्वारा बाईपास के लिए अधिकृत की गई थी उसे पर आज भी जमीन मालिक बेरोकटोक फसल और सब्जियों की खेती करके लाखों रुपए सालना कमा रहा है। जबकि जमीन मालिक इस जमीन का कई करोड़ रुपए का मुआवजा आज से 10-12 साल पहले ले चुका है। हरियाणा सरकार ने जब इस जमीन को एक्वायर किया था उस समय यहां के सभी किसानों को तत्कालीन रेट के हिसाब से मुआवजा दे दिया था। तब सैनी धर्म कांटा के पास के रहने वाले मनोज कुमार पुत्र दुर्गाप्रसाद व उसके परिजनों की जमीन भी अधिगृहित की गई थी, जिनका मुआवजा उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो चुका था। सरकार द्वारा इस पॉइंट पर गोल सर्कल बनाने की योजना थी लेकिन बाद में नांगल चौधरी रोड रेलवे लाइन पर ओवरब्रिज बना दिया गया। जिसके चलते गोल सर्कल नहीं बनाया गया। गोल सर्कल के लिए जिन किसानों की जमीन एक्वायर की गई थी। उन सभी किसानों ने उसी दौरान लोग निर्माण विभाग को कब्जा दे दिया था लेकिन इनमें से मनोज पुत्र दुर्गा प्रसाद और उसके परिजनों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करके अपनी जमीन का कब्जा नहीं दिया और तब से ये लोग निरंतर आज तक करीब ढाई एकड़ इस जमीन पर खेती करते चले आ रहे हैं। करीब दो-तीन साल पहले तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी सज्जन सिंह यादव ने यहां पर तारबाड़ करने की कोशिश की थी, लेकिन उनका तबादला होने के बाद यह मामला ठंडा बस्ती में पड़ गया। इस मामले में अब यहां के एक निवासी सौरभ सैनी ने हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव, अतिरिक्त सचिव, लोक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारियों जिला उपयुक्त व अन्य अधिकारियों को एक मेल भेज कर मौके की फोटो और वीडियो भेजते हुए मांग की है कि विभाग की यह जमीन कब्जा मुक्त करके विभाग अपने कब्जे में ले। साथ ही यहां से अब तक की गई इनकम की भी रिकवरी की जाए। दूसरी तरफ इस मामले में लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता अश्विनी कुमार का कहना है कि विभाग की इस जमीन की कब्जा कार्रवाई के लिए तहसीलदार को पहले भी पत्र लिखा जा चुका था और अब फिर रिमाइंडर भेज कर डी मार्केशन करवाई जाएगी और शीघ्र ही जमीन पर विभाग अपना कब्जा लेगा।
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