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उत्तर प्रदेश: सोलन से पूर्वाचल तक कोडीन सिरप तस्करी का बड़ा नेटवर्क पकड़ा गया
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: कोडीन कफ सिरप की तस्करी के नेटवर्क का सीधा कनेक्शन हिमाचल प्रदेश के सोलन से सामने आया है. एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, सोलन की कई फार्मा कंपनियों से कोडीन सिरप की खेप पश्चिम बंगाल के रास्ते झारखंड के रांची में शैली ट्रेडर्स तक पहुंचाई जाती थी,
विस्तार
उत्तर प्रदेश: कोडीन कफ सिरप की तस्करी के नेटवर्क का सीधा कनेक्शन हिमाचल प्रदेश के सोलन से सामने आया है. एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, सोलन की कई फार्मा कंपनियों से कोडीन सिरप की खेप पश्चिम बंगाल के रास्ते झारखंड के रांची में शैली ट्रेडर्स तक पहुंचाई जाती थी, जहां से आगे वितरण किया जाता था. भारत और बांग्लादेश के बीच मेघना नदी के रास्ते बड़े पैमाने पर फेंसिडिल और अन्य सिरप की तस्करी होती थी. इस रूट से 10 हजार करोड़ के अवैध कारोबार की बात सामने आई है. एसटीएफ और ड्रग विभाग की जांच में सामने आया है कि सिरप हिमाचल प्रदेश से मनाया जाता था तो इसमें तस्करों को 10 गुना मुनाफा होता था. इस पूरे सिंडिकेट को खड़ा करने में शुभम जायसवाल और अमित सिंह टाटा की अहम भूमिका बताई जा रही है. दोनों ने मिलकर शैली ट्रेडर्स के नाम से एक बड़ा तस्करी नेटवर्क तैयार किया. ड्रग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शुभम जायसवाल ने कई ऐसी फर्मे बनाई थी, जो केवल कागजों में ही अस्तित्व में थी। इन फर्जी फॉर्मों के जरिए दवओं की खरीद और सप्लाई दिखाकर अवैध गतिविधियों को वैध रूप देने की कोशिश की जाती थी। अमित सिंह टाटा ने वाराणसी में श्री मेडिकल एजेंसी और झारखंड के धनबाद में कृपा मेडिकल नाम से फर्मे में खोली थी। जांच में सामने आया कि श्री मेडिकल को स्टॉकिस्ट और कृपा मेडिकल को रिटेलर के रूप में दर्शाया गया था। इन्हीं फर्मो से कोडीन सिरप की खेप बिहार और नेपाल तक सप्लाई की जाती थी। एनसीबी के अधिकारियों के अनुसार, गोरखपुर से वाराणसी का मार्ग कोडी न कफ सिरप तस्करी का बड़ा हब बन चुका है। इस नेटवर्क से जुड़े कई आरोपी पहले से ही एसटीएफ के रडार पर थे। गिरफ्तार विभोर सिंह राणा समेत अन्य आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। अमित सिंह टाटा के गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने पूर्वांचल के जिलों में नेटवर्क से जुड़े लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई तेज कर दी है. ड्रग विभाग के जांच में सामने आया है कि शुभम ने अपनी फर्म शैली ट्रेडर्स के नाम पर हिमाचल की फर्म से सिरप मंगाने के बाद उसे गाजियाबाद के गोदाम में रखता था. फर्जी फर्मो के कागज तैयार कर उसे आगरा, लखनऊ और वाराणसी तक सप्लाई करता था. वाराणसी से कोडीन सिरप की बड़ी खेप सोनभद्र के रास्ते झारखंड और पश्चिम बंगाल जाती थी. इसके बाद बांग्लादेश और नेपाल तक भेजी जाती थी।
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