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मध्य प्रदेश: तेंदूखेड़ा की गौरैया नदी में मगरमच्छ की दस्तक से हड़कंप, ग्रामीणों में दहशत

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विकाश अहीरवाल. मध्य प्रदेश  Published by: , Date: 17/10/2025 12:39:18 pm Share:
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  • 17/10/2025 12:39:18 pm
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संक्षेप

मध्य प्रदेश: दमोह जिले के तेंदूखेड़ा नगर के गौरैया नदी में मगरमच्छ देखी गई घटना ने इलाके में हड़कंप मचा दिया। गुरुवार की दोपहर चोराई हार के पास जब स्थानीय युवक खेतों

विस्तार

मध्य प्रदेश: दमोह जिले के तेंदूखेड़ा नगर के गौरैया नदी में मगरमच्छ देखी गई घटना ने इलाके में हड़कंप मचा दिया। गुरुवार की दोपहर चोराई हार के पास जब स्थानीय युवक खेतों में काम कर रहा था, तो उसे नदी में मगरमच्छ दिखाई दिया। मगरमच्छ ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन युवक अपने तेज़ रफ्तार भागने से अपनी जान बचाने में सफल रहा। इस घटना ने इलाके में सुरक्षा और नदी के किनारे सतर्कता बढ़ाने की जरूरी पहचानी। गौरैया नदी तेंदूखेड़ा क्षेत्र का महत्वपूर्ण जल स्रोत है, लेकिन अब यह खूंखार मगरमच्छ के कारण स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन गई है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, मगरमच्छ वैसे तो प्रकृति का अहम हिस्सा हैं, लेकिन जब वे मानव बस्तियों के करीब आ जाते हैं तो उनकी उपस्थिति खतरनाक हो सकती है। यह घटना ग्रामीण जीवन की सामान्य दिनचर्या को प्रभावित कर रही है और लोगों की जान-माल के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।

स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे तुरन्त इस मुद्दे पर ध्यान दें और नदी के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम करें। मगरमच्छ को पकड़कर सुरक्षित जंगल या संरक्षित क्षेत्र में छोड़ने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि नदी किनारे रहने वाले लोगों को राहत मिल सके। इसके साथ ही ग्रामीणों को भी इस खतरे के प्रति जागरूक करना जरूरी है ताकि वे सावधानी बरतें और किसी अप्रिय घटना से बच सकें। यह घटना पर्यावरण और मानव जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को भी सामने लाती है। वन्य जीवन और मानव समुदाय के बीच सह-अस्तित्व संभव है, लेकिन इसके लिए उचित प्रबंधन और सतर्कता आवश्यक है। प्रशासन को चाहिए कि जानवरों के आवास को संरक्षित करते हुए मानव सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखें। इस घटना ने तेंदूखेड़ा क्षेत्र के लोगों में भय पैदा कर दिया है। खासकर बच्चे और बड़े नदी के पास जाने से डर रहे हैं, जिससे स्थानीय जीवन प्रभावित हो रहा है। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन और वन विभाग मिलकर मिलाजुला समाधान निकालें ताकि flora और fauna दोनों का संरक्षण हो सके और लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।


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