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उतर प्रदेश: राष्ट्रीय शिक्षा महासंघ ने SC के टीईटी फैसले के खिलाफ PM को ज्ञापन सौंपा, पुराने शिक्षकों की सेवा‑सुरक्षा को बचाओ
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संक्षेप
उतर प्रदेश: देशभर के लाखों शिक्षकों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले 01 सितम्बर 2025 के उच्चतम न्यायालय के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) संबंधी निर्णय प
विस्तार
उतर प्रदेश: देशभर के लाखों शिक्षकों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले 01 सितम्बर 2025 के उच्चतम न्यायालय के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) संबंधी निर्णय पर तत्काल हस्तक्षेप हेतु अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आवाहन पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जनपद कन्नौज ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। जिलाध्यक्ष डॉ. सस्मित द्विवेदी ने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार सभी सेवारत शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति की तिथि चाहे जो भी हो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल दिया है। जिला महामंत्री अक्षय मिश्रा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से दो श्रेणियाँ मान्य की गई थीं जिसमें पहली वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी। उतना ही आवश्यक उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना भी है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने इस समस्या के समाधान तक निर्णायक संघर्ष करने की घोषणा की है। जिला उपाध्यक्ष विकास दुबे ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश इस समस्या के समाधान होने तक निर्णायक आंदोलन करेगा। प्रत्येक शिक्षक की सेवा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ कटिबद्ध व प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर राहुल दुबे, विजय पटेल, अर्चना, अनामिका, सुशांत, अतुल पाण्डेय, रजनी तिवारी, पूनम, रुची, आकाश मिश्रा, सैफ़ी अम्बुज गुप्ता, रजनीश सिंह, उपेन्द्र सिंह पटेल, संदीप राजपूत, नवीन मिश्रा, आकाश बाबू, अनुराग मिश्रा, रणविजय कटियार नीरज शुक्ला आदि तमाम शिक्षक शिक्षिकाएं एवं संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे।
एवं दूसरी वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों की जिनके लिए एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया था। माननीय उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। जिला संगठन मंत्री दिवाकर ने न्यायालय के इस निर्णय को केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू किए जाने की मांग की उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आरटीई अधिसूचना 27 जुलाई 2011 को लागू होने से इसके पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर इसका प्रभाव न पड़ना न्यायसंगत होगा। जिला कोषाध्यक्ष अरुण सिंह ने वैध नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित करने और लाखों शिक्षकों को सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने हेतु आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाने की माँग की। जिला कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद संघर्षी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना जितना आवश्यक है,