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दिल्ली: जनवादी धरनों पर बंदिशों के खिलाफ जंतर मंतर पर खुला सम्मेलन

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दिल्ली  Published by: Rishi Kumar , Date: 16/09/2025 05:05:28 pm Share:
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  • 16/09/2025 05:05:28 pm
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संक्षेप

दिल्ली: आज राजधानी में विरोध-प्रदर्शन के लिए लगातार सिमटते जनवादी दायरों को उजागर करने के लिए अनेक संगठनों ने जंतर मंतर पर एक खुला सम्मेलन आयोजित किया।

विस्तार

दिल्ली: आज राजधानी में विरोध-प्रदर्शन के लिए लगातार सिमटते जनवादी दायरों को उजागर करने के लिए अनेक संगठनों ने जंतर मंतर पर एक खुला सम्मेलन आयोजित किया। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि दिल्ली में शांतिपूर्ण एकत्रीकरण और असहमति को दमनकारी नियमों और मनमानी पुलिस कार्रवाई के जरिए दबाया जा रहा है। 
सम्मेलन की शुरुआत कामरेड मृगांक (प्रवक्ता, दिल्ली कमेटी, सी॰ई॰आई॰(एम॰एल॰) न्यू डेमोक्रेसी) द्वारा परिचय प्रस्तुत करने से हुई। इसके बाद विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे, जिनमें शामिल थे — प्रो. मधु प्रसाद (एआईएफआरटीई), प्रो. नंदिता नारायण (डीटीएफ), दीप्ति (एनएफआईडब्ल्यू), अनिमेश दास (इफ्टू), मैनेजर चौरसिया (एआईयूटीयूसी), विमल त्रिवेदी (सी॰ई॰आई॰(एम॰एल॰) मासलाइन), वर्तिका (पीयूसीएल), विकास (जन हस्तक्षेप), श्रेया (कलेक्टिव), विवेक (एमईके), योगेश (आरडब्ल्यूपीआई), पूनम (पीएमएस), योगेश (आईएमके), ऋतु (एआईएमएमएस), सौरव (पीडीएसयू) और आशीष (एनबीएस)।

जंतर मंतर, जिसे ऐतिहासिक रूप से विरोध-प्रदर्शन का स्थल घोषित किया गया था, अब किसी भी कार्यक्रम के लिए अनिवार्य 10 दिन का पूर्व नोटिस और लिखित अनुमति मांगता है। यह अनुमति प्रायः बिना किसी कारण बताए अस्वीकार कर दी जाती है, जिससे किसी भी मुद्दे पर तत्काल प्रतिक्रिया असंभव हो जाती है। आयोजकों को अत्यधिक नौकरशाही झंझटों, व्यक्तिगत विवरणों की अनावश्यक मांगों और पुलिस द्वारा लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

इसके अलावा, नई दिल्ली ज़िले में धारा 163 बीएनएसएस के तहत स्थायी प्रतिबंध ने केंद्र और राज्य सरकार के दफ्तरों के पास होने वाले सभी प्रदर्शनों को पूरी तरह खामोश कर दिया है, जिससे प्रत्यक्ष संवाद का रास्ता बंद हो गया है। ये पाबंदियाँ पूरे शहर में फैल रही हैं — औद्योगिक इलाकों से लेकर राशन की दुकानों, श्रम विभागों और कार्यस्थलों तक — यहाँ तक कि बकाया मज़दूरी के विरोध में होने वाले प्रदर्शन भी रोके जा रहे हैं। जंतर मंतर को चारों ओर से बैरिकेड लगाकर ऐसा बना दिया गया है मानो प्रदर्शनकारियों के लिए यह एक आभासी जेल हो। सम्मेलन में यह भी रेखांकित किया गया कि ऐतिहासिक और जनवादी जुलूस — जैसे कि मई दिवस, भगत सिंह स्मरण और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस — को लगातार रोका जा रहा है, जिससे जनता के संघर्षों की लम्बे समय से चली आ रही परंपराओं को मिटाया जा रहा है।

सम्मेलन के अंत में दिल्ली के उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा गया (प्रतिलिपि संलग्न)। इसमें माँगें रखी गईं जंतर मंतर पर विरोध-प्रदर्शन और कार्यक्रमों के लिए केवल पूर्व सूचना/नोटिस पर्याप्त हो, न कि विस्तृत अनुमति। इस सिद्धांत को दिल्ली के सभी जिलों में लागू किया जाए। पूरे जिलों, विशेषकर नई दिल्ली, को स्थायी निषेधाज्ञा के अधीन रखने की प्रथा समाप्त की जाए।