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आंध्र प्रदेश: तेलंगाना में बीसी जाति जनगणना को लेकर राजनीतिक घमासान'
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विस्तार
आंध्र प्रदेश: बीसी (बैकवर्ड क्लास) जाति जनगणना को लेकर तेलंगाना की राजनीति में घमासान छिड़ गया है। राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं, और सरकार पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वह बीसी जातियों की आबादी को कम आंकी जा रही है। वर्तमान में तेलंगाना सरकार विधानसभा में जाति जनगणना को मंजूरी देने की तैयारी कर रही है, जबकि बीआरएस (भारतीय राष्ट्र समिति) और अन्य विपक्षी दल इसे गलत करार दे रहे हैं। बीआरएस नेता, खासकर कविता, यह सवाल उठा रहे हैं कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के पहले कार्यकाल के दौरान किए गए सर्वेक्षणों में बीसी जातियों की संख्या अधिक आंकी गई थी। बीआरएस के नेताओं का कहना है कि बीसी की कुल आबादी 46 प्रतिशत नहीं, बल्कि इससे कहीं अधिक हो सकती है, लेकिन इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। केसीआर का यह सर्वे कभी जनता के सामने नहीं लाया गया, और यह बात अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इसे पार्टी की आंतरिक जानकारी के रूप में रखा गया था या अन्यथा। वहीं, विपक्षी दल जैसे कांग्रेस ने सरकार से इस मसले पर विधानसभा में आपत्तियां बताने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार जातिवाद के नाम पर बीसी जातियों को लेकर गलत गणना कर रही है। मंगलवार को विधानसभा में इस मुद्दे पर विशेष बैठक आयोजित की जाएगी, जहां जाति रिपोर्ट पर अंतिम मुहर लगने की संभावना है। राज्य में इस मुद्दे को लेकर बीसी जाति की राजनीति और भी तेज हो गई है, और सभी दल अपने-अपने तरीके से इस मामले में अपनी राजनीतिक रणनीति को मजबूत कर रहे हैं।
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