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Dengue: डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियन्त्रण के लिए एडवायजरी जारी
 

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उत्तर प्रदेश  Published by: Aakil Ali , Date: 14/10/2023 05:09:57 pm Share:
  • उत्तर प्रदेश
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  • 14/10/2023 05:09:57 pm
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संक्षेप

जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियन्त्रण के लिए एडवायजरी जारी की, जनसामान्य को डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों से सुरक्षित रखने के लिए एडवायजरी का अनुपालन करने का किया आह्वान

विस्तार

जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियन्त्रण के लिए एडवायजरी जारी की, जनसामान्य को डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों से सुरक्षित रखने के लिए एडवायजरी का अनुपालन करने का किया आह्वान

डेंगू रोग स्वतः समाप्त होने वाला वायरस जनित रोग है जो भाषा एडीज टाईमर के काटने से फैलता है। एडीज इजिप्टाई मच्छर घरों में एवं घरों के आस-पास एकत्रित साफ पानी में विकसित होता है तथा दिन के समय में काटता है और रात को दिवान करता है। डेंगू बुखार का विषाणु इस मच्छर के द्वारा एक प्रभावित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है। इसका विषाणु की तेजी से शरीर में प्रकार करता है के रोग से प्रभावित करता है। एडीज इजिप्टाई मच्छर की विशेषता है कि एक बार डेंगू वायरस से संक्रमित होने के पश्चाद जब यह अच्छे देता है तो वह अण्डे भी डेंगू वायरस से संक्रमित होते हैं तथा उन अण्डों से बनने वाले मच्छर भी संक्रमित होते हैं और रोग फैला सकते हैं।

1. मच्छर के काटने के उपरान्त स्वस्थ व्यक्ति 2-7 दिन के मध्य बुखार का रोगी, सिरदर्द, बदन दर्द, जोड़ो व मांसपेशियों एवं आँखों के पिछले हिस्से में दर्द की शिकायत करता है। 2. शरीर पर लाल व गुलाबी रंग के थक्कत्ते पड़ जाना।

3. कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मचलाना। 4. डेंगू के गम्भीर स्थिति मे नाक, मुँह, गुदा, मूत्र नली इत्यादि से रक्त बहना।

5. कभी-कभी रोगी का बेहोश हो जाना।

डेंगू रोग का प्रबन्धन

लक्षण के आधार पर यदि मरीज में बुखार, शरीर दर्द इत्यादि के अलावा अन्य किसी तरह का लक्षण नहीं है तो मरीज को साधारण बुखार के लिए:

1. साधारण डेंगू बुखार में उपचार व देखभाल घर पर की जा सकती है। 2. बुखार 102 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होने पर शरीर पर पानी की पट्टियों रखें। 3. डॉक्टर की सलाह पर बुखार कम करने हेतु पैरासिटामाल औषधि ले सकते है।

4. शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए आवश्यकतानुसार तरल पदार्थों एवं ओ०आर०एस० घोल का सेवन करे।

5. रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिये तथा सामान्य रूप से खाना खाना चाहिये।

6. मुँह, नाक एवं मूत्र द्वार से रक्तस्त्राव होने पर शीघ्र ही चिकित्सक की सलाह लें तथा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र / चिकित्सालय में भर्ती करायें।

डेंगू रोग का निदान 

निदान (Diagnosis) अर्थात जॉच के द्वारा मरीज की डायग्नोसिस बनाने की जरूरत तब पड़ती है जब मरीज में उपरोक्त साधारण लक्षण के अतिरिक्त डिहाईड्रेशन, शरीर में लाल चकत्तें, काली लेट्रीन होना, आँखों की पुतलियों में दर्द व रक्त स्त्राव अथवा बहुत ज्यादा कमजोरी लगना हो तभी मरीज को समस्त सामुदायिक / प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र /जिला चिकित्सालय/पंजीकृत निजी चिकित्सालय में सम्पर्क कर जाँच कराना चाहिये जिससे स्पष्ट हो सके कि मरीज की स्थिति कितनी गम्भीर है। 

डेंगू रोग का उपचार 

निदान के उपरान्त चिकित्सक की सलाह पर ही उपचार करें। सरकारी/निजी चिकित्सालय में डेंगू के रोगियों के लिये एक पृथक वार्ड चिन्हित किया जाये जिसमें प्रत्येक बैड़ पर रोगी के लिये मच्छरदानी की व्यवस्था करायी जाये। चिकित्सक की सलाह के अनुसार खून, डेंगू रैपिड़ कार्ड, प्लेटलेट, एलाइजा विधि एवं लीवर आदि की जॉच (एल0एफ0टी0) कराया जाना चाहिये ।

प्लेटलेट की कम संख्या से कतई घबराने की जरूरत नहीं है यदि मरीज का प्लेटलेट 60000 के उपर है तो मरीज को अपना खान-पान, हाईड्रेशन रखने व बुखार में पैरासिटामोल लेने की स्थिति से ही लगभग 95 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो जाता है।

यदि मरीज का प्लेटलेट 28000 या उसके नीचे रहता है तो मरीज को किसी चिकित्सक की सलाह में ऐसी फैसिलिटी / सेन्टर के सम्पर्क में रहना चाहिये जहाँ प्लेटलेट की उपलब्धता होती है।

यदि प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन, आई०सी०एम०आर० गाईडलाइन के क्रम में 10000 अथवा उसके नीचे हो जाने पर ही किया जाना है।

मरीजों के लिये डेंगू रोग से बचाव के विशेष सुझाव

क्या करें 
1. घर में कूलर, बाल्टी, घड़े तथा ड्रम का पानी साप्ताहिक अन्तराल पर बदलते रहे कूलर का पानी निकालने के बाद उसकी टंकी, दीवारों को स्कन से साफ करके 4-5 घंटे सूखने दें जिससे दीवारों से भी मर जायें। 
2. घर पर एवं घर मे पानी रखने वाली टंकी एवं बर्तनों का ढक्कन अच्छी तरह बंद रखें।
3. घर के आस-पास पानी एकत्रित न होने दें। 
4. पूरी आस्तीन का कपड़ा पहने तथा पैरों में जूता मोजा पहनें।
5. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर मच्छर निरोधक औषधियों को खुले भागों पर लगायें।
6. नीम की पत्ती का धुआँ करें। 
7. डेंगू बुखार में चिकित्सक की सलाह के अनुसार पैरासिटामाल की गोली या सिरम डिकलोफेनक / एसीक्लोफेने/ (बच्चों हेतु) लेकर बुखार को कम रखिये एवं पूर्ण आराम करें। पानी की पट्टी रख कर यर को कम करें
8. बुखार होने पर नजदीक के राजकीय है, रक्तस्त्राव हो सकता है। चिकित्सालय पर निःशुल्क जाँच एवं उपचार किया जाता है।

क्या न करें

1. घर के आस-पास तथा आंगन में एवं पर पड़े पुराने आदि मे पानी इकट्ठा ना होने दें तथा कबाड़ छत पर या खुले स्थान पर ना डालें। 
2. घर के आस-पास कूड़ा एवं पानी एकत्र ना होने दें।
3. घर में यदि बुखार का रोगी है तो उसे मच्छरदानी के बिना ना रहने दें अथवा ऐसे कमरे में रोगी की देखभाल करें जिसके खिड़की तथा दरवाजों पर णालियों लगी हो।

4. नंगे बदन न रहें।

5. बुखार का रोगी बिना रक्त की जाँच कराये दवा का इस्तेमाल ना करे तथा खाली पेट दया ना खायें। 6. एस्प्रिन / डिस्प्रिम/ आईबूप्रोफेन /निमुसलाइड एवं काट्रीसोन / स्टीरॉयड औषधियां कदापि नहीं लेना चाहिये। इनसे रोगी की स्थिति गम्भीर हो सकती है और रक्तस्राव हो सकता है।
7. झोलाछाप डाक्टर से ग्लूकोज /आई०वी० फ्लूइड / बोतल इत्यादि न चढ़वायें।

जनपद के समस्त सरकारी चिकित्सालयो में डेंगू रोग की रैपिड कार्ड से निःशुल्क जाँच की जाती है तथा जिला चिकित्सालय बिजनौर ने एलाईजा विधि द्वारा भी जाँच निशुल्क की जाती है एवं मरीज की स्थिति को देखते हुए भर्ती कर निशुल्क उपचार किया जाता है गम्भीर रोगी को चिकित्सक की सलाह पर हायर सैन्दर को सन्दर्भित किया जाता है डेंगू रोगियों के परिवन हेतु 108 एम्बुलेन्स सेवा का उपयोग करें।

आयुष्मान कार्ड से डेंगू रोग का उपचार

आयुष्मान कार्ड धारकों हेतु डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों का उपचार योजना के अन्तर्गत सूचीबद्ध चिकित्सालयों में भर्ती होने की अवस्था में निःशुल्क उपलब्ध है।

नोट: कृपया चिकित्सक इलाज के लिए ICMR (Indian Council for Medical Research) की गाईडलाइन के अनुरूप ही उपचार करना सुनिश्चित करे यदि स्थिति जटिल हो तो आवश्यकतानुसार स्वयं आवश्यक निर्णय लें।


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