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Diwali: दिया और पटाखे जलाते समय बरते ये सावधानियां, ऐसे घर में तैयार करें फर्स्टएड बॉक्स 

Diwali: दिया और पटाखे जलाते समय बरते ये सावधानियां, ऐसे घर म

Diwali: दिया और पटाखे जलाते समय बरते ये सावधानियां, ऐसे घर में तैयार करें फर्स्टएड बॉक्स  - Photo by : Social Media

नई दिल्ली  Published by: Md Hasan Raza , Date: 09/11/2023 02:51:23 pm Share:
  • नई दिल्ली
  • Published by: Md Hasan Raza ,
  • Date:
  • 09/11/2023 02:51:23 pm
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संक्षेप

नई दिल्ली: दीवाली लाइट्स और खुशियों का त्योहार है। दीवाली आने से कई दिन पहले से ही इसकी तय्यरियाँ शुरू हो जाती है। इस त्योहार पर लोग दिए जला कर घरों को रोशन करते हुए नज़र आते हैं।

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विस्तार

नई दिल्ली: दीवाली लाइट्स और खुशियों का त्योहार है। दीवाली आने से कई दिन पहले से ही इसकी तय्यरियाँ शुरू हो जाती है। इस त्योहार पर लोग दिए जला कर घरों को रोशन करते हुए नज़र आते हैं। लोग इस फेस्टिवल ऑफ़ लाइट्स पर सतर्कता जरूर बरते ताकि आपको किसी तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़े। इसके साथ ही आपको घर में एक फर्स्टएड बॉक्स भी बना कर रखना चाहिए। जिससे यदि आपको थोड़ा भी परेशानी का सामना करना पड़े तो उससे निपट सके और आपका दीवाली का त्योहार खुशियों से भरा हुआ रहे। 

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ये सावधानियां बरतना काफी जरुरी है 

आप या आपका कोई भी बच्चा घर के अंदर पटाखें न फोड़ें। अगर आपको पटाखे फोड़ने हैं तो पटाखे छोड़ते वक्त बच्चों को उससे दूर रखें। 

कभी भी मटके में रखकर पटाखें को न चलाएं और न ही कांच की बोतलों में पटाखों को रख कर न जलाएं। इससे मटके या कांच के कण आँख या शरीर के किसी भी पार्ट में लगने का खतरा बन जाता है। 

भीड़ भाड़ वाले इलाके में पटाखें नहीं जलाएं। पटाखा अगर जलाने के बाद न फूटें तो जल्द उसके नज़दी न जाये।  पहले थोड़ा ठहरे और उसके बाद पटाखें के पास जाये। 

आतिशबाजी करते वक्त दिया वैगेरह जलाते वक्त कॉटन के ढीले-ढाले कपड़े ही पहनें 

बच्चों से अनार रॉकेट आदि न चलवायें। फूलझड़ी वगैरह जब बच्चे चलाएं, तो उनके साथ ही रहें 

बता दें कि, कानों के सुनने की एक क्षमता होती है। 100 डेसीबल या उससे ज़्यादा आवाज वाले पटाखों से कान के परदे को हानि हो सकती है। इसको ध्यान में रखें। 

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अगर कान में सन्न की ध्वनि होने लगे तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें 

संभव हो तो जीरो पावर वाला चश्मा लगाकर आतिशबाजी करें। आतिशबाजी करते वक्त हाथों को सैनिटाइज न करें। साबुन से हाथ धोएं। 

सबसे बेहतर तो यह हो कि हम सभी ग्रीन पटाखों का उपयोग करें। इनकी आवाज़ और रोशनी भी पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम ही होती हैं।