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मध्य प्रदेश: बसपा ने भिंड से देवाशीष जरारिया को मैदान में उतारा 

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मध्य प्रदेश  Published by: Fulchand Malviya , Date: 18/04/2024 01:00:30 pm Share:
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  • 18/04/2024 01:00:30 pm
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संक्षेप

मध्य प्रदेश: देवाशीष जारारिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर बसपा ज्वाॅइन कर ली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड दतिया संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े देवाशीष  जरारिया ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

विस्तार

मध्य प्रदेश: देवाशीष जारारिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर बसपा ज्वाॅइन कर ली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड दतिया संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े देवाशीष  जरारिया ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद जरारिया ने राजस्थान के अलवर में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के सामने बसपा की सदस्यता ले ली सदस्यता लेने के कुछ ही घंटे बाद बसपा ने भिंड सेट से उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया कांग्रेस कैंडिडेट बरैया की मुश्किलें बड़ी 2024 के लोकसभा चुनाव में भिंड दतिया संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है इसके बाद से ही देवाशीष कांग्रेस नेताओं से नाराज थे उन्होंने आज अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को भेज दिया अब बसपा से चुनाव लड़ने पर प्रत्याशी फूल सिंह बरैया की मुश्किल है बाढ़ सकती है फूल सिंह बरैया पहले बसपा में थे 2003 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें निष्कासित कर दिया था।.

दिग्विजय के करीबी रहे हैं देवाशीष कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले देवाशीष को 2019 के भिंड से कांग्रेस का टिकट दिया गया था हालांकि वह यह चुनाव हार गए थे उनके टिकट की सिफारिश सीधे राहुल गांधी ने की थी इसके बाद उनकी गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होने लगी थी दिग्विजय सिंह से उनकी पहचान व्यापम के व्हीसिलबलो अर आनंद राय ने और हीरालाल अलावा ने इंदौर में कराई थी जेएनयू से दिग्विजय राजनीति में लेकर आए थे देवाशीष के करीबियों की माने तो जरारिया दिल्ली की जवाहरलाल यूनिवर्सिटी जेएनयू में पड़े हैं वे बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता भी रह चुके हैं जब देवाशिष्ठ दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे इसी दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के संपर्क में आए और कांग्रेस जॅवाइन कर ली वे जेएनयू नेता कन्हैया कुमार एंव जिग्नेश मेवानी के करीबी है वे कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा राहुल गांधी के साथ नजर आए थे। 

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ देवाशीष अब जानिए जरा रिया ने स्थिति में क्या लिखा है गहन विचार विमर्श और पार्टी द्वारा हास्य पर धकेले जाने के बाद लगता है की समय कठोर निर्णय लेने का है 2019 में पार्टी ने मुझे भिंड दतिया लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था हारने के बाद कोई उम्मीदवार क्षेत्र में वापस लौटकर नहीं जाता लेकिन पार्टी को मजबूत करने की लगन थी तो खुद को पूरी तरह झोंक दिया निम्न मध्यवर्गीय परिवार से आने के बाद भी आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए संघर्ष जारी रखा प्रदेश के वरिष्ठ नेतृत्व ने कहा कि अगले लोकसभा की तैयारी करो तुम्हें फिर मौका देंगे। 

इन पांच वर्षों में मध्य प्रदेश में उपचुनाव विधानसभा चुनाव हुए सभी में कहा गया कि तुम हमारे लोकसभा उम्मीदवार हो तुम्हें लोकसभा लड़ना है मैंने कोई टिकट नहीं मांगा पांच साल जब मैं संघर्ष की बात थी तो कोई नहीं था लेकिन जैसे ही वर्तमान लोकसभा चुनाव आए तो मेरा टिकट काट दिया गया उसके बाद पार्टी ने संगठन में जिम्मेदारी देने की बात कही गई जो कि आज दिनांक तक भी पूरी नहीं की गई टिकट काटने के बाद से ही ना तो संगठन के बड़े नेताओं ने कोई बात की और ना ही प्रत्याशी ने क्षेत्र के कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जा रहा है मेरा कसूर क्या था यही की पार्टी के लिए दिन रात मेहनत कि ग्रुप बाजी करके कांग्रेस में ही कांग्रेस को नहीं निपटाया कांग्रेस में जो भीतर घाट करता है। 

उसी को सबसे ज्यादा पूछा जाता है जो मेरे चरित्र में नहीं है पार्टी दलितों आदिवासियों महिलाओं पिछड़ों के सम्मान और हक की बात करती है लेकिन मेरे हक पर ही डाका डाल दिया इससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि, कांग्रेस की कंपनी और करने में कोई सामानता नहीं है। दलित समाज केवल इस्तेमाल करने और फेक देने के लिए है महिलाओं की बात करें तो पूरे प्रदेश में केवल एक महिला को टिकट दिया है ओबीसी की जाति का जनगणना की बात करने वाली पार्टी ने 29 सीटों में से केवल 5 ओबीसी को दी है। जब आप पार्टी के अंदर दलितों आदिवासियों महिलाओं ओबीसी वर्ग को हिस्सेदारी नहीं दे सकते तो किस मुंह से देश की जनता आप पर विश्वास करेगी इतने साल पार्टी में काम करते हुए निष्कर्ष पर पहुंचा हूं की पार्टी की कोई नीति रीति नहीं है नहीं इच्छा शक्ति मैंने एक माह इंतजार किया लेकिन जहां मान सम्मान नहीं है उस जगह को छोड़ देना उचित है अतः में पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। 


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