-
☰
ओडिशा: स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति, मरीजों को हो रही परेशानी
- Photo by : ncr samachar
विस्तार
ओडिशा: अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और स्वच्छता को लेकर गंभीर चिंताएँ उभर कर सामने आ रही हैं। अस्पताल की नवीनीकरण के बाद की स्थिति, विशेष रूप से उसकी प्रवेशद्वार के पास के इलाके में, मरीजों और अन्य लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। अस्पताल की पुरानी इमारत को जर्जर होने के कारण लगभग दो साल पहले तोड़ दिया गया था, और तब से ही नए भवन में स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। हालांकि, अस्पताल के परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से तोड़फोड़ के मलबे को हटाए जाने के बावजूद, यह मलबा आज भी इधर-उधर पड़ा हुआ है। अस्पताल के प्रवेशद्वार के सामने यह मलबा किसी भी व्यक्ति को आसानी से दिखाई देता है। कई दिन से मलबा यहाँ पड़ा हुआ है, और अब यह इलाका कचरे का ढेर बन चुका है। कचरे के साथ-साथ यहां झाड़ियां भी उगी हुई हैं, जहां सांप और बिच्छू जैसे खतरनाक जीव भी रहते हैं। बारिश के मौसम में इस मलबे के पास पानी जमा हो जाता है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। अस्पताल परिसर में मच्छरों के काटने के कारण मरीजों और कर्मचारियों को भारी असुविधा हो रही है। हालांकि यह स्थिति किसी को भी अच्छी नहीं लगती, लेकिन मलबे और कचरे का ढेर धीरे-धीरे लोगों के लिए सामान्य हो गया है। इस पर प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अस्पताल के विभिन्न विभागों जैसे मेडिसिन, गायनिक, आर्थोपेडिक और वालरोग में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कुर्सियाँ भी लंबे समय से खाली पड़ी हैं, लेकिन प्रशासन की खामोशी इन समस्याओं को और भी गंभीर बना रही है। इसके साथ ही, हाल ही में मलबे के पास एक अस्थाई स्टैंड भी बना दिया गया है, जो मरीजों और अन्य लोगों के लिए और भी परेशानी का कारण बन रहा है। हर साल एक या दो बार मरीज कल्याण समिति की बैठक आयोजित होती है, जिसमें विधायक, पंचायत समिति अध्यक्ष, जिला परिषद सदस्य, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और चिकित्साधिकारी एक साथ बैठक कर अस्पताल की समस्याओं और विकास कार्यों पर चर्चा करते हैं। हालांकि, अस्पताल के परिसर में स्वच्छता की स्थिति और मलबे की समस्या पर उनका मौन खामोशी को दर्शाता है, जो मरीजों के लिए गंभीर दिक्कतें पैदा कर रहा है। इस स्थिति को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि डेलांग अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के बजाय मरीजों के लिए यह एक मुसीबत बनती जा रही है। अगर यही स्थिति रही, तो इसे "डेलांग अस्पताल जाओ और मुफ्त में बीमारी लाओ" के मुहावरे से भी जोड़ा जा सकता है।
राजस्थान: ईशरोदा में नेत्र जांच शिविर का आयोजन, 10 जनवरी को
दिल्ली: वियान फाउंडेशन ने संवाद मणिका कार्यक्रम के जरिए "पहला सुख निरोगी काया" पर दिया बल
वेस्ट बंगाल: रूस ने विकसित की नई एमआरएनए वैक्सीन
छत्तीसगढ़: तांत्रिक के कहने पर युवक ने निगला चूजा, हुई मौत, पोस्टमार्टम में हुआ हैरतअंगेज खुलासा
उत्तर प्रदेश: भारत में 2024 में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से हुई मौतों पर चिंता बढ़ी