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उत्तर प्रदेश: किसानों की मांगो व समस्याओं पर गंभीरता से विचार करे सरकार
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: किसान मेहनतकश होता है। उसके लिए क्या वर्षा, क्या जाड़ा, क्या गर्मी। आवश्यकता के अनुसार वह हर वक्त अपने खेतों में होता है और जब हम नरम कम्बल व रजाइयों में दुबके होते हैं तब भी वह खेतों में पानी दे रहा होता है।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: किसान मेहनतकश होता है। उसके लिए क्या वर्षा, क्या जाड़ा, क्या गर्मी। आवश्यकता के अनुसार वह हर वक्त अपने खेतों में होता है और जब हम नरम कम्बल व रजाइयों में दुबके होते हैं तब भी वह खेतों में पानी दे रहा होता है। ठंड से उनके हाथ सिकुड़ जाते हैं पैर काम नहीं कर रहे होते हैं फिर भी पानी की मेंढ़ों को ठीक करने में लगा रहता है कि कहीं पानी इधर उधर ना फैल जाए। वाकई में अगर किसान नहीं होते तो हमें भोजन कैसे मिलता? यह सोचकर भी रूह कांप जाती हैं। अब वही किसान एक बार फिर ढंड में खुले आसमान के निचे, पानी की बौछार का सामना करते हुए अपनी मांगों के लिए लड़ रहा हैं। गनीमत यही है कि लाख मुश्किलों का सामना करते हुए भी किसानों ने कभी कृषि कार्य नहीं छोड़ा है। अगर अपनी त्रासदी से हार कर कभी अन्नदाताओं ने अन्न उपजाना छोड़ दिया तो उस दिन बड़े-बड़े उद्योगपतियों और राजनेताओं समेत सबको दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं हो पाएगी, तो वही खेती और किसानों की यह दयनीय स्थिति देख कर ही युवा आज इससे मुंह फेर रहे हैं। नहीं भूलना चाहिए कि किसान इस देश के गौरव हैं!इसलिए हमारी सरकार को किसानों की मांगो व समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना होगा ओर इस आंदोलन को समाप्त कराना होगा।
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