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राजस्थान: रेगिस्तान में उगने वाला आक अब बनेगा ग्रामीणों के रोजगार का जरिया

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राजस्थान  Published by: Mangi Lal , Date: 17/06/2025 05:40:33 pm Share:
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  • 17/06/2025 05:40:33 pm
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संक्षेप

राजस्थान: इसके औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। यथा माइग्रेशन,सिर दर्द, आंखों की रोशनी,फोड़े फुंसी, चेहरे की झुर्रियां, त्वचा के दाग हटाने में आक (आकड़ा)का, दूध, 

विस्तार

राजस्थान: इसके औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। यथा माइग्रेशन,सिर दर्द, आंखों की रोशनी,फोड़े फुंसी, चेहरे की झुर्रियां, त्वचा के दाग हटाने में आक (आकड़ा)का, दूध, फूल ,डोडै(आमनुमा फल ),जड़ और पत्तियों ,१ आक के पेड़ के नीचे जमी हुई रेत भीऔषधि के रूप में कामआती है।महादेव भगवान  को आक के डोडे, से पुष्प, पत्तियों चढ़ाई जाती है। आक के बारे में ऐसी मान्यता है कि हिंदू धर्म में इसको बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है । ऐसा माना जाता है किआक में गणेश जी का वास होता है ।जिसका धार्मिक महत्व भी है। आम की आकृति के डोडे से रेशम सा कपड़ा बनने लगा है ।इस प्राकृतिक रेशे को राज्य स्तर पर इकट्ठा करने की मुहिम को अंतरराष्ट्रीय फैशन डिजाइनर और राजस्थान की  सामाजिक कार्यकर्ता रूमा देवी अंजाम दे रही है। रूमा देवी फाउंडेशन ने आक पर लगने वाले आमनूमा आकृति के फलों को इकट्ठा कर ने की मुहिम में लगा हुआ है।

 राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर ,जोधपुर, जालौर, नागौर, पाली, बीकानेर, चूरू, सीकर झुंझुनू, हनुमानगढ़ आदि जिलों में इस पर कार्य शुरूभी हो चुका है ।यह स्वयं सहायता समूह की महिलाओं व किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहा है। वस्त्र मंत्रालय एवं उत्तरी भारत वस्त्र अनुसंधान संघ के वैज्ञानिकों ने लंबे अनुसंधान के बाद में इसकी उपयोगिता सिद्ध की है। बंजर  भूमि में अपने आप उगने वाला पेड़ है। जिसे  जहां जंगली जाड़ झंकार समझकर काट दिया करते थे।अब किसानों के लिए यह खेती का विकल्प बनेगा। वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में नवाचार की धरातल पर शानदार परिणाम दे रहा है। इसलिए रूमा देवी फाउंडेशन द्वारा सीसीई के सहयोग सेआक को  एकत्र करने के लिए रोजगारोंन्मुखी प्रशिक्षण आरंभ किया है ।जो ऑनलाइन व ऑफलाइन प्रशिक्षण के रूप में किया जा रहा है।

 रूमा देवी फाउंडेशन के विक्रम सिंह ने बताया कि इसकी खेती सरल एवं किफायती है। इसका सस्टेनेबल फाइबर बहुत हल्का व ज्यादा गर्मी देने वाला बहुत महीन होता है ।जो किसानों के लिए नई फसल का विकल्प बन रहा है। जिसमें विशेष लागत व पैसों की जरूरत नहीं है। आक की खेती द्वारा किसान अधिक लाभान्वित हो सकते हैं ।एक बार आकापेड़ लगाने के बाद में 10 वर्ष तक इसकी फसल ले सकते हैं ।इससे स्लीपिंग बैग, जैकेट जैसे बहुत से उत्पाद बनाए जा सकते हैं। जो हमारे सैनिकों को 20-40 डिग्री सेंटीग्रेड ताप में भी सुरक्षा दे सकते हैं। इसके फूल से क्रीम बनाई जाती है। जो माइग्रेशन में सिर दर्द  से लेकर के झुर्रीयो तक ठीक करता है। फूल फोड़े फुंसियों , माइग्रेशन , आंखों की रोशनी  सिर दर्द में भी यह लाभदायक है। 


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