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उत्तर प्रदेश: शाशन की योजनाओं और व्यवस्था का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है, जल्द से जल्द कार्यवाही की जाए
- Photo by : ncr samachar
संक्षेप
उत्तर प्रदेश: पंचायत भवन अक्सर बंद रहता है, जिससे ग्रामीणों को जरूरी कार्यों के लिए ब्लॉक का चक्कर लगाना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि पंचायत सचिव भवन में कभी दिखाई ही नहीं देते,
विस्तार
उत्तर प्रदेश: पंचायत भवन अक्सर बंद रहता है, जिससे ग्रामीणों को जरूरी कार्यों के लिए ब्लॉक का चक्कर लगाना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि पंचायत सचिव भवन में कभी दिखाई ही नहीं देते, जबकि पंचायत सहायक,घर बैठे हर महीने छह हजार रुपये का मानदेय उठा रहे हैं। ग्राम पंचायत सचिवालय की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीणों के हितों की लगातार अनदेखी भी कर रही है। मंगलवार को जब मामले की हकीकत जानने के लिए एक स्थानीय पत्रकार पंचायत भवन पहुंचा, तो वहां ताला लटका मिला। ग्रामीणों ने बताया कि महीनों से सचिवालय में कोई नहीं बैठता।
आम लोगों को अपने प्रमाणपत्र, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, जाति प्रमाण पत्र या सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी और फॉर्म के लिए दूर-दराज ब्लॉक कार्यालय जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है, "हम गरीब लोग हैं, दिन की मजदूरी छोड़कर ब्लॉक कार्यालय जाना आसान नहीं होता। यहां पंचायत भवन में कोई होता ही नहीं, तो शिकायत किससे करें शासन के आदेशानुसार, सभी पंचायत सहायकों को ग्राम सचिवालय में बैठकर ग्रामीणों को सेवाएं प्रदान करनी होती हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया गया है, लेकिन फुलवारी कला जैसे कई गांवों में यह जिम्मेदारी केवल कागजों पर निभाई जा रही है।
इस मामले में जब पंचायत सहायक की भूमिका पर सवाल उठाया गया, तो पता चला कि तैनात यह व्यक्ति कभी पंचायत भवन आता ही नहीं। इसके बावजूद, हर महीने उसका मानदेय समय से पहुंच जाता है। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर इसकी निगरानी कौन कर रहा है इस संबंध में जब विकासखंड सैदपुर के एडीओ पंचायत रमेश सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा, "हमने सभी ग्राम पंचायत अधिकारियों और विकास अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अपने रोस्टर के अनुसार पंचायत भवन में अनिवार्य रूप से बैठें। यदि कोई अनुपस्थित पाया गया तो उसके खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि सिर्फ चेतावनी और निर्देश देने से स्थिति नहीं सुधरेगी। जब तक प्रशासनिक स्तर पर सख्त कदम नहीं उठाए जाएंगे और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक गांवों में व्याप्त यह लापरवाही बनी रहेगी। फिलहाल फुलवारी कला पंचायत में विकास और सेवा वितरण पूरी तरह ठप है। सचिवालय में ताला लटका हुआ है और जनता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और कब तक जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई होती है।
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