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बिहार: महात्मा माणिक चंद्र तिवारी ने कहा- 'सदगुरु जीवन में आते हैं तो जीवन सवार जाता है

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बिहार  Published by: Sanjay Kumar Verma , Date: 10/12/2025 05:44:18 pm Share:
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  • 10/12/2025 05:44:18 pm
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संक्षेप

बिहार: मिला है हमको सदगुरु पूरा राह पुरानी बदल गया। उक्त बातें बुधवार को ब्रांच छोटा शेखपुरा में दिल्ली से पधारे निरंकारी सेंट्रल प्रचारक महात्मा माणिक चंद तिवारी ने सत्संग के दौरान अपने विचार में कहा। उन्होंने कहा कि जीवन में सदगुरु मिलते हैं तो जीवन सवार जाता है।

विस्तार

बिहार: मिला है हमको सदगुरु पूरा राह पुरानी बदल गया। उक्त बातें बुधवार को ब्रांच छोटा शेखपुरा में दिल्ली से पधारे निरंकारी सेंट्रल प्रचारक महात्मा माणिक चंद तिवारी ने सत्संग के दौरान अपने विचार में कहा। उन्होंने कहा कि जीवन में सदगुरु मिलते हैं तो जीवन सवार जाता है। सदगुरु से ज्ञान मिलने पर जीवन में रहन रहन सब बदल जाता है। निरंकारी सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने हम सभी को ज्ञान देकर जीवन में बहुत बड़ा उपकार किया है। सदगुरु आता है जग में सुखिया करने सब संसार। सदगुरु माता इस जग में सब को सुखी करने आये हैं। उन्होंने बताया कि तन मन धन की सेवा में सबसे बड़ा मन की सेवा है। जब हम सत्संग में मन एकाग्रह हो जाय तब हम कुछ पा सकते हैं। महात्मा ने रामायण का वह प्रसंग जिसमें भगवान श्री राम और हनुमान जी का मिलन का प्रसंग सुना कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जब हमारी भावना सुद्ध होगी तभी भव से पार हो सकते हैं। सत्संग की प्रयाग है। जब हम ग्रन्थ को मानते हैं तो सत्संग साधु समाज को ही प्रयाग बताया गया है। 

उन्होंने अकबर और बीरबल की कहानी में अल्लाह की जूती का प्रसंग सुनाया। कहा कि बहे बहाये जात है लोग वेद के साथ, जब सदगुरु मिला वस्तु मिले हाथ। उन्होंने कहा कि किसी वस्तु के लिए आपको तड़पना पड़ेगा, मेहनत करनी पड़ेगी। गुरु कृपा पाने के लिए शिष्य को सुपात्र बनना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सदगुरु से जो ज्ञान मिला है उसे जीवन में ढाल लें। ज्ञान कर्म में ढल जाए तो जीवन का श्रृंगार बने। सदगुरु माता जी का पांच प्रण और तीन कर्म को जीवन में अपना लें जीवन धन्य हो जाएगा। सत्संग में कई सन्त महात्मा भाई बहनों ने अपने गीत विचार से सदगुरु का गुणगान किया। इस मौके पर मुखी विनोद गुप्ता, बाल्मीकि शर्मा, डॉ रामचंद्र प्रसाद, परमानंद कुमार, हरि जी, रामवृक्ष जी, बहन मुन्नी जी, क्रांति जी आदि संत बहना मौजूद थे।


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