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मध्य प्रदेश: बच्चों का शिक्षा अधिकार निजी स्कूल नहीं, शासन और अभिभावक की ज़िम्मेदारी
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संक्षेप
मध्य प्रदेश: बच्चों का पढ़ाई का हक निजी स्कूल संचालक पर नहीं, बल्कि शासन और अभिभावक पर है। अगर शासन भुगतान नहीं करता, तो यह निजी स्कूल का अपराध नहीं। बच्चों का अधिका
विस्तार
मध्य प्रदेश: बच्चों का पढ़ाई का हक निजी स्कूल संचालक पर नहीं, बल्कि शासन और अभिभावक पर है। अगर शासन भुगतान नहीं करता, तो यह निजी स्कूल का अपराध नहीं। बच्चों का अधिकार 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (RTE 2009) का अधिकार है। यह अधिकार कानून द्वारा शासन को बाध्य करता है, ताकि हर बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। बच्चों का अधिकार निजी स्कूल की सहमति पर निर्भर नहीं है। निजी स्कूल का दृष्टिकोण निजी स्कूल संचालक का काम है शिक्षा देना और स्कूल संचालन सुनिश्चित करना। बिना भुगतान या RTE के तहत विनियोजित राशि प्राप्त न होने पर भी उन्हें बच्चों को मुफ्त पढ़ाने का कानूनी बाध्यकारी अधिकार नहीं है। यदि स्कूल ने बच्चों को पढ़ाया, तो यह केवल सहयोग है, बाध्यता नहीं। अभिभावक की जिम्मेदारी अभिभावक को यह देखना चाहिए कि बच्चों का शिक्षा विकल्प सुलभ और वैधानिक हो। यदि निजी स्कूल में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो फीस जमा करने की क्षमता सुनिश्चित करनी चाहिए। शिक्षा का अधिकार मांगते समय शासन से भुगतान सुनिश्चित कराना अभिभावक की जिम्मेदारी है। शासन और अधिकारियों की भूमिका RTE के तहत निजी स्कूल को समय पर भुगतान करना शासन की बाध्यता है। वर्षों तक भुगतान न होना अधिकारों की अवहेलना और प्रशासनिक अपराध है। शिक्षा सुनिश्चित करना केवल बच्चों का हक नहीं, बल्कि शासन की कानूनी जिम्मेदारी भी है। बच्चों को शिक्षा का अधिकार है, निजी स्कूल का दायित्व नहीं। पढ़ाई और फीस का संतुलन शासन और अभिभावक पर निर्भर है। निजी स्कूल केवल सहयोग कर सकता है, मजबूर नहीं किया जा सकता। शिक्षा के अधिकार को लागू करने में विफलता अधिकारियों का अपराध है, स्कूल का नहीं।
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