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राजस्थान: दलित अधिकार केन्द्र ने निष्पक्ष जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की

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राजस्थान  Published by: Rajendra , Date: 18/09/2025 03:56:53 pm Share:
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  • 18/09/2025 03:56:53 pm
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संक्षेप

राजस्थान: उपरोक्त घटना को गम्भीरता से लेते हुये दलित अधिकार केन्द्र का चार सदस्य जांच दल दिनांक 17 सितम्बर 2025 को हेमन्त मीमरौट, एडवोकेट, मुख्य कार्यकारी, दलित अधिकार केन्द्र,

विस्तार

राजस्थान: उपरोक्त घटना को गम्भीरता से लेते हुये दलित अधिकार केन्द्र का चार सदस्य जांच दल दिनांक 17 सितम्बर 2025 को हेमन्त मीमरौट, एडवोकेट, मुख्य कार्यकारी, दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर, चन्दा लाल बैरवा, एडवोकेट, उप निदेषक, दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर, इन्दिरा सोलंकी, जिला समन्वयक, दलित महिला मंच, अजमेर, मातादीन रैगर, सामाजिक कार्यकर्ता, दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर ने पीडित मुकेष कुमार, पीडित के परिवार के सदस्य, दलित समुदाय से मिल कर वास्तविक स्थिति का जायजा लिया, दस्तावेज एकत्रित किये, पीडितों से मिल कर घटना की जानकारी एकत्रित की व प्राप्त तथ्यों के आधार पर दिनांक 18 सितम्बर, 2025 को अतिरिक्त जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक पाली को ज्ञापन देकर प्रकरण में निष्पक्ष जांच कर आरोपियां के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की गई। दलित अधिकार केन्द्र के प्रतिनिधि मण्डल ने पुलिस प्रषासन की कार्यवाही पर निष्पक्ष कार्यवाही नही करने, आरोपियों को बचाने, पर गहरा आक्रोष प्रकट किया। 
घटना का विवरण निम्न प्रकार है


 दिनांक 15/08/2025 को लगभग 2.30 बजे दलित पीडित मुकेष कुमार नायक, अपने घर से ट्रैक्टर लेकर मजदूरी पर जा रहा था। पीडित को ग्राम बर्री के रास्तें में आरोपी मंगल सिंह पुत्र भंवर सिंह, भंवर सिंह, तथा अन्य, जाति राजपूत, समस्त निवासी ग्राम बर्री जो पहले से ही षंडयत्र कर, पीडित के साथ मारपीट करने की घटना को अंजाम देने के लिए छुप कर बैठे थे। जैसे ही पीडित टैक्टर लेकर आरोपियों के पास से गुजरा आरोपियों ने रास्ते मे रोक कर, पीडित से जबरन शराब के पैसे मांगे। जब पीडित द्वारा पैसे देने से मना कर दिया तो आरोपियों द्वारा पीडित को जातिगत शब्दों से अपमानित कर, पीडित को निवस्त्र कर गम्भीर मारपीट की गई। आरोपियों द्वारा पीडित से जबरन खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाये व अंगूठे का निशान करवाया। आरोपियों द्वारा पीडित की निवस्त्र अवस्था की वीडियों बनाई गई। जिसका पीडित द्वारा जब विरोध किया तो आरोपियो द्वारा धारदार हथियार से पीडित के सिर पर वार किया कर गम्भीर घायल कर दिया गया। आरोपियों ने सबूत मिटाने तथा कानून के सिकेजे से बचने के लिए के लिए पीडित के खून के कपडो को पानी से धोने के लिए पीडित को मजबूर किया। दलित पीडित गम्भीर परिस्थितियों मे घटना स्थल से भाग कर अपने घर पहुच कर अपनी जान बचाई। आरोपियों द्वारा पीडित की कान की सोने की लोंग भी उतार लिये गये। 


  उक्त प्रकरण में दलित पीडित द्वारा घटना के दूसरे दिन दिंनाक 16/08/2025 को पुलिस थाना खिवांडा जिला पाली में प्रथम सूचना रिपोर्ट सं. 0097/2025 अन्तर्गत धारा 115 (2), 126(2), 3(2), 119(1), 308(2), भारतीय न्याय संहिता,2023, 3(1)(ंत) 3(1)(ें) 3(2)(अं) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में नामजद आरोपियों के खिलाफ दर्ज करवाई गई। उल्लेखनीय है कि यह अत्यन्त गम्भीर घटना के बाद भी आज तक पुलिस द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार नही किया गया। क्योकि आरोपी दंबग एंव प्रभावशाली है और पुलिस प्रशासन में अच्छी पहुॅच रखते है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि पुलिस प्रशासन द्वारा आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है। जिस कारण आरोपियों के हौसेले बुलंद हो रहे है एंव पीडित को लगातार जान से मारने की धमकी दे कर डरा धमका रहे हैं। दलित अधिकार केन्द्र के प्रतिनिधि मण्डल ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक पाली को ज्ञापन देकर निम्न मांग की गई  

यह कि उक्त गम्भीर प्रकरण में निपष्क्ष, सही, सत्य जांच कर आरोपी को यह कि आरोपियों द्वारा सार्वजनिक स्थान पर जातिगत आधार पर अस्पृश्यता कारित कर गम्भीर मारपीट की गई। अतः प्रथम सूचना रिपोर्ट में पी.सी.आर. अधिनियम 1955 की धारा 7 (घ), 7 (1) (1-क) शामिल कर अनुसंधान किया जाऐ। 
यह कि एससी/एसटी के नियम 7 में 60 दिन में जांच पूरी कर न्यायालय में चालान का प्रावधान है लेकिन उक्त गम्भीर प्रकरण में आज दिंनाक तक चालान सम्बधित न्यायालय मे पेश नही किया गया है। अतः अविलम्ब जांच पूर्ण कर आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया जावे यह कि उक्त गम्भीर प्रकरण की जांच करते समय, समस्त कार्यवाहीयों की नियम 15-क (10) के अन्तर्गत वीडियो रिकॉर्डिंग कर अभिलिखित की जाए।  यह कि दलित पीडित का मेडिकल जांच करवाई जावें। मेडिकल रिपोर्ट को जांच में शामिल किया जावें।
6.    यह कि आरोपियों से पीडित के कानो में पहनी हुई सोने की लोंग को आरोपियां से बरामद की जाये।
7.    यह कि जांच करते समय पीडित के खून से सने कपडों को बरामद कर व घटना स्थल पर खून से सनी मिट्टी को साक्ष्यों को पत्रावली में शामिल किया जावे।
8.    यह कि हमले मे इस्तेमाल किए गए डन्डों एंव लाठी को बरामद कर जांच में शामिल किया जावे। 
9.    यह कि पीड़ित को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले को ‘‘केस ऑफिसर स्कीम‘‘ के तहत शामिल कर मामले में अविलंम्ब ‘‘केस ऑफिसर‘‘ नियुक्त किया जावे और पुलिस महानिदेशक को निर्देश किया जाये।
10.    यह की पीडित को अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के नियम 12 (4) के अन्तर्गम प्रथम सूचना रिपोर्ट के स्तर का पीड़ित को आर्थिक मुआवजा राशिद उपलब्ध करवाई जावे

ज्ञापन की मांगों को अतिरिक्त जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक पाली ने प्रतिनिधि मण्डल की मांगों को ध्यान पूर्वक सुनकर आवष्यक कार्यवाही का आष्वासन दिया।