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                     राजस्थान: दरगाह क्षेत्र में प्रशासन द्वारा जबरन चिन्हित की जा रही ज़मीन पर स्थानीय लोगों का विरोध
 
              - Photo by : ncr samachar
विस्तार 
                
                    
                   राजस्थान: वा कांग्रेस के प्रदेश वरिष्ठ सचिव, अकबर हुसैन ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा किया जा रहा सर्वे बिना स्थानीय लोगों की सूचना के किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी और रोहंगिया घुसपैठियों का हवाला देकर स्थानीय निवासियों को परेशान किया जा रहा है। अकबर हुसैन ने यह भी कहा कि "इस सर्वे के दौरान स्थानीय लोगों को गुमराह किया जा रहा है और उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी जा रही है। उन्होंने बताया कि दी सोसाइटी पंचायत अंदरकोटियान को इस सर्वे के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है, जबकि इसके पहले 2012 में भी एक सर्वे किया गया था, जिसे पंचायत ने रुकवा दिया था। उस समय यह मुद्दा उठाया गया था कि यह सर्वे नगर निगम या वन विभाग की ज़मीन के खाता और खसरे को स्पष्ट नहीं करता। सर्वे से जुड़े दस्तावेजों के अनुसार, सन 1999 में कलेक्टर के आदेश पर नागफणी से नई सड़क का रास्ता निकालने के लिए 1000 बीघा ज़मीन का आवंटन किया गया था, जिसमें से 700 बीघा ज़मीन पहाड़ काट कर नगर निगम को दी गई थी। यह ज़मीन वार्ड नंबर 7 के तहत आती है और उसका खाता नंबर 4624 है। हालांकि, यह ज़मीन अंदरकोट क्षेत्र में नहीं आती है, और अंदरकोट क्षेत्र का खाता नंबर 488 है। अकबर हुसैन ने कहा कि अंदरकोट क्षेत्र के पुराने बाशिंदों के पास पहाड़ों पर मकान और पेड़-पौधों का मालिकाना हक है, जो सालों से वहां काबिज हैं। 1875 में सरकार ने लक्ष्मी पोल के बाहर नूरचश्मा इमली कुंड पर कब्जा लिया था, लेकिन इस बदले में अंदरकोट के पुराने बाशिंदों को वह ज़मीन दी गई थी, और आज तक वे उस ज़मीन पर काबिज हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2024 में किए गए सर्वे के बारे में स्थानीय लोगों को अब तक कोई सूचना नहीं दी गई, जबकि कमिश्नर बहादुर द्वारा पहले ही यह निर्देश दिए गए थे कि किसी भी बदलाव से पहले पंचायत और बाशिंदों को सूचित किया जाए। स्थानीय लोग प्रशासन के इस कदम से नाराज हैं और उनका कहना है कि जब तक स्थानीय लोगों को पूरी जानकारी नहीं दी जाती, तब तक यह सर्वे अवैध माना जाएगा। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या स्थानीय निवासियों की शिकायतों का समाधान होता है।
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