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उत्तर प्रदेश: सीओ सिटी पंकज श्रीवास्तव को लाल बहादुर शास्त्री सम्मान से नवाजा गया
- Photo by : SOCIAL MEDIA
संक्षेप
उत्तर प्रदेश: अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की 122 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर योगेश जौहरी के
विस्तार
उत्तर प्रदेश: अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की 122 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर योगेश जौहरी के संयोजन में स्थानीय श्यामगंज में सम्मान कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ उपाध्यक्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर सीओ सिटी तृतीय,बरेली डीएसपी रैंक चित्रांश पंकज कुमार श्रीवास्तव को उनकी उत्कृष्ट कार्यशैली एवं सत्यनिष्ठा से राष्ट्र एवं समाज की अविस्मरणीय सेवाओं के लिए लाल बहादुर शास्त्री सम्मान से विभूषित किया गया सम्मान स्वरूप शाॅल, स्मृति चिन्ह एवं मोतियों की माला प्रदेश उपाध्यक्ष उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट एवं कार्यक्रम संयोजक योगेश जौहरी ने प्रदान की। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने कहा कि कायस्थ गौरव लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के योग्य एवं अत्यंत लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे वह ईमानदारी की मिसाल बने, निश्चित ही शास्त्री जी की सादगी सदियों तक भारतीय जनमानस को प्रभावित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि महासभा शास्त्री जी के पद्चिन्हों पर कार्य करने वाले समाज के लोगों को प्रोत्साहित करने का काम करती है इसी कड़ी में आज सीओ सिटी पंकज कुमार श्रीवास्तव को लाल बहादुर शास्त्री सम्मान प्रदान किया गया है। सीओ सिटी पंकज कुमार श्रीवास्तव ने अपने सम्मान पर आभार जताया और कहा कि शास्त्री जी अपने जीवन को देश के लिए समर्पित करने वाले भारत माता के सच्चे लाल थे। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में उनका विशेष योगदान रहा। अपने जीवन के अमूल्य नौ वर्ष उन्होंने जेल में गुजारे। भारत- पाकिस्तान युद्ध के बाद सूखाग्रस्त हालात में भारत में अन्न संकट उत्पन्न होने पर देशवासियों से एक वक्त अन्न त्यागने को कहा जिसे पूरे देश ने स्वीकार किया अन्न संकट से उबारने की उनकी योजना कारगर साबित हुई। शास्त्री जी ने जय जवान- जय किसान का नारा भी दिया संयोजक योगेश जौहरी ने कहा कि शास्त्री जी भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीती हुई जमीन व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान को लौटाना नहीं चाहते थे पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव में उन्हें निर्णय लेना पड़ा और ताशकंद समझौते के एक दिन बाद 11 जनवरी को उनकी मृत्यु का रहस्य आज भी रहस्य बना हुआ है जिसे सामने लाना अत्यंत आवश्यक है। इस मौके पर अधिवक्ता समीर बिसारिया, जगदीश शरण सक्सेना 'निमिष', राजीव सक्सेना, संजय सक्सेना एवं प्रदीप कुमार आदि उपस्थित रहे ।
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