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छत्तीसगढ़: हाथी के हमले में महिला की मौत, परिजनों ने मुआवजा और नौकरी की मांग, वन विभाग पर लापरवाही का आरोप
- Photo by : SOCIAL MEDIA
संक्षेप
छत्तीसगढ़: ग्रामीणों ने कहा कि हाथियों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि अरबों रुपये खर्च कर बनाए गए तमोर पिंगला अभ्यारण्य का कोई ठोस लाभ सामने नहीं आया। वहां मात्र तीन-चार पालतू
विस्तार
छत्तीसगढ़: ग्रामीणों ने कहा कि हाथियों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि अरबों रुपये खर्च कर बनाए गए तमोर पिंगला अभ्यारण्य का कोई ठोस लाभ सामने नहीं आया। वहां मात्र तीन-चार पालतू हाथी रखे गए हैं और यह क्षेत्र केवल अधिकारियों और नेताओं का चारागाह बनकर रह गया है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि यदि हाथियों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा, ती ऐसे अभ्यारण का क्या औचित्य है? उनका आरोप है कि सरकार मानी गांवों में लोगों को सुरक्षा के बजाय हाथियों को खुला छोड़कर ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ कर रही है। शासन-प्रशासन से ठोस कदम की मांग ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर हाथियों के आतंक को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने मांग की है कि गांवों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जाए, हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए टीमें बनाई जाएं, और फसलों व घरों की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग जैसी व्यवस्था की आए। आखिर कब बनेगा यह द्वंद्व? थी-मानव द्वंद्व अब केवल जान-माल को क्षति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि या ग्रामीणों के जीवन जीने के अधिकार पर भी सीधा खतरा बन चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक दीर्घकालिक नीति नहीं बनेगी और हाथियों को सुरक्षित कॉरिडोर उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, तब तक यह खूनी संघर्ष जारी रहेगा। ग्रामीणों का सवाल बिल्कुल सीधा है-कब तक भोले-भाले लोग अपनी जान देकर कीमत चुकाते रहेंगे?